परिवार पहचान पत्र नहीं होने से प्रवासी मजदूरों के बच्चों को नहीं मिल पा रहा सरकारी स्कूलों में दाखिला
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संवाद सहयोगी, तावडू: परिवार पहचान पत्र नहीं होने के चलते प्रवासी मजदूरों के नौनिहालों को शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित रखा जा रहा है। सरकारी स्कूलों में दाखिला नहीं मिलने के चलते यह प्रवासी मजदूर अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चितित हैं।
नगर के वार्ड नंबर 15 में प्रवासी मजदूरों की एक बस्ती में रहने वाली महिला सोमवती, सरोज, बबीता,सुमन व बीरमति ने बताया कि जब वह अपने बच्चों के दाखिले को लेकर सरकारी स्कूलों में जाते हैं तो उनसे सबसे पहले परिवार पहचान पत्र मांगा जाता है। परिवार पहचान पत्र नहीं होने के कारण उन्हें वापस घर भेज दिया जाता है। अब ऐसे में उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की चिता सताने लगी है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूलों में वह अपने बच्चों को पढ़ा नहीं सकते। क्योंकि उनकी फीस ही इतनी है जितनी उनके पूरे महीने की कमाई। ऐसे में या तो वह अपने परिवार का पेट भर लें या फिर अपने बच्चों को पढ़ा लें।
बता दें कि प्रवासी मजदूरों में अधिकतर उत्तरप्रदेश, बिहार व मध्य प्रदेश से आए हुए परिवार हैं जो रोजी-रोटी की तलाश में यहां आकर बसे हुए हैं। इन परिवारों में से अधिकतर के पास परिवार पहचान पत्र नहीं है। इस बारे में जब कई सरकारी स्कूलों के कुछ मुखियाओं से बात की तो उन्होंने बताया कि जब तक छात्रों का रिकार्ड आनलाइन पोर्टल पर अपलोड नहीं होगा, उन्हें सरकारी स्कूल का छात्र नहीं माना जाएगा और ना ही उन्हें सरकार द्वारा दी जाने वाली मुफ्त वर्दी व छात्रवृत्ति की सुविधा मिलेगी। अभी केवल छात्रों के दाखिले के लिए दाखिले फार्म भरकर जमा किए जा रहे हैं। - जिले के सभी राजकीय विद्यालय के मुखियाओं को प्रोविजनल दाखिले देने के निर्देश दिए जा चुके हैं। परिवार पहचान पत्र संबंधित परेशानी का निवारण होते ही छात्रों को स्थाई दाखिले के साथ सभी सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलने लगेगा। अस्थाई दाखिले वाले छात्र कक्षाओं में बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं।
- मुकेश यादव, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, नूंह