निजी अस्पतालों में इलाज कराने को विवश मरीज
संवाद सहयोगी तावडू करोड़ों रुपये की लागत से तैयार तावडू का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र यूं तो सभी अत्याधुनिक जीवन रक्षक उपकरणों से परिपूर्ण माना जाता है।
संवाद सहयोगी, तावडू: करोड़ों रुपये की लागत से तैयार तावडू का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र यूं तो सभी अत्याधुनिक जीवन रक्षक उपकरणों से परिपूर्ण माना जाता है। लेकिन फागिग मशीन नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि क्षेत्र के निजी अस्पताल डेंगू मलेरिया और वायरल के संदिग्ध मरीजों से भरे पड़े हैं। जबकि जिला स्वास्थ्य विभाग जमीनी हकीकत से अनभिज्ञ नजर आ रहा है। नगर का शायद ही कोई निजी अस्पताल हो जिसमें डेंगू, मलेरिया या वायरल के मरीज भर्ती न हों। हैरानी की बात है कि मरीजों के तीमारदार खुलेआम कह रहे हैं कि उनके मरीज को डेंगू की पुष्टि हुई है, लेकिन निजी क्लीनिक संचालक इसके सही आंकड़े देने से कन्नी काट रहे हैं। नगर के निजी अस्पतालों के अंदर बेड फुल हैं, लेकिन जिला स्वास्थ्य विभाग तावडू उपमंडल में केवल पांच डेंगू मरीजों की पुष्टि कर रहा है। तावडू के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में करीब आधा दर्जन से अधिक वेंटिलेटर, पांच दर्जन से अधिक आक्सीजन कंसंट्रेटर आदि सभी सुविधाओं से लैस बेड उपलब्ध हैं, लेकिन यह सुविधा किसी को दिखाई नहीं दे रहे। अस्पताल के भी कई वार्डों पर ताले जड़े पड़े हैं। मलेरिया विभाग के मल्टीपरपज हेल्थ वर्कर गांवों में जमा पानी में केवल टेमीफोस डालकर डेंगू मलेरिया से जंग जीतने की जद्दोजहद कर रहे हैं। मलेरिया विभाग के कर्मचारी सुरेंद्र ने बताया कि पिछले कई दिनों से वह गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। कई गांवों में उन्हें लार्वा भी मिले हैं जिनमें टेमीफोस पानी में मिलाकर छिड़कवाया जा रहा है। अभी तक वह लोग कालरपुरी, डिढारा, छारोडा, बावला, पचगांव, भाजलाका, चिलावली, मसीत, नूरपुर और निजामपुर आदि गांवों में लोगों को जागरूक करने के साथ एंटी लार्वा एक्टिविटी में जुटे हुए हैं।