पहले से सशक्त हुई हैं जिले की महिलाएं
नूंह को शिक्षा रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी पिछड़ा जिला माना जाता है। खासकर अगर महिलाओं की बात करें तो इस जिले को महिलाओं के पिछड़ेपन के मामले में सबसे पीछे जाना जाता है।
संवाद सहयोगी, फिरोजपुर झिरका: नूंह को शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी पिछड़ा जिला माना जाता है। खासकर अगर महिलाओं की बात करें तो इस जिले को महिलाओं के पिछड़ेपन के मामले में सबसे पीछे जाना जाता है। लेकिन अब तस्वीर काफी हद तक बदली है। यहां की महिलाएं अब शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रही हैं। महिलाओं ने अपने विचार यूं व्यक्त किए।
छात्रा पूजा गौतम ने कहा कि तस्वीर अब काफी बदल चुकी है। क्षेत्र की महिलाएं अब शिक्षित होकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। मैंने खुद को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है। मैंने जीएनएम का कोर्स किया है। मेरे अलावा नूंह की 60 से अधिक लड़कियों ने जीएनएम और एएनएम का कोर्स किया है। जिला के लिए ये हर्ष की बात है कि इतनी बड़ी संख्या में लड़कियों ने जीएनएम और एएनएम का कोर्स किया है। मेवात को महिला शिक्षा में काफी पिछड़ा माना जाता था, लेकिन अब सूरत और सीरत बदल चुकी है। क्षेत्र में महिला साक्षरता दर तेजी से बढ़ती जा रही है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में महिला साक्षरता दर मात्र 36 प्रतिशत थी। अब 45 प्रतिशत के करीब है। क्षेत्र के लोग शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं। शिक्षित होकर क्षेत्र की महिलाएं अपने अधिकारों को जानने लगी हैं। ये मेरे लिए खुशी की बात है।
- मोहमदी बेगम, सामाजिक कार्यकर्ता केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार ने महिलाओं के उत्थान और कल्याण के लिए कई योजनाओं को लागू किया है। सरकार की योजनाओं से महिलाएं शिक्षा और रोजगार से जुड़कर खुद को न केवल आत्मनिर्भर बना रही हैं बल्कि अपने अधिकारों को जान खुद को सशक्त और मजबूत बना रही हैं।
- सुमन आर्य पूर्व जिलाध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ