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जल संशोधन संयंत्र हो तो, मिटे पानी की किल्लत

नूंह जिले में पानी की समस्या दशकों पुरानी है लेकिन सरकार व प्रशासन की ओर से ठोस नीति ना बनाए जाने की वजह से ये आज विकराल रूप ले चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 08:03 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 08:03 PM (IST)
जल संशोधन संयंत्र हो तो, मिटे पानी की किल्लत
जल संशोधन संयंत्र हो तो, मिटे पानी की किल्लत

शेरसिंह चांदोलिया, नगीना

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नूंह जिले में पानी की समस्या दशकों पुरानी है लेकिन सरकार व प्रशासन की ओर से ठोस नीति ना बनाए जाने की वजह से ये आज विकराल रूप ले चुकी है। अगर सरकार इस पर कोई ठोस नीति बनाकर कार्य करे तो जिले में भी जल संकट का समाधान हो सकता है। जिले में जहां दशकों से पेयजल, सिचाई व निर्माण कार्यों के लिए पानी का अभाव बना हुआ है, वहीं दो दशक से बारिश कम होने की वजह से ये समस्या क्षेत्र के लिए और गंभीर हो गई है।

जिले में जल स्तर लगातार गिरने की वजह से जलाशय दम तोड़ चुके हैं। पानी भी लगभग 400 फुट की गहराई तक जा पहुंचा है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि यहां वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम तक नहीं अपनाया गया है। जिले में भी मल जल संशोधन संयंत्र (ट्रीटमेंट प्लान) का होना अति आवश्यक है क्योंकि यहां पर लाखों लीटर पानी प्रतिदिन बर्बाद हो जाता है। यदि सरकार चाहे तो इसी पानी को साफ करके जोहड़ों को भरकर कहीं हद तक पूरे मेवात से पानी की किल्लत को दूर कर सकती है। बर्बाद हो रहा पानी

जिले में जहां गंदे पानी की निकासी को लेकर सरकार की ओर से कोई ठोस प्रबंध ना होने की वजह से ये पानी बेकार बहकर जहां गंदगी फैलाकर बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है, वहीं पेयजल संकट में भी बढ़ोतरी हो रही है। इसी पानी को एक जगह पर एकत्रित कर दें तो इसका इस्तेमाल भी हो सक्ता है। लेकिन गावों में तो सही प्रकार से पानी निकासी का भी प्रबंध नहीं है। इस पानी का शोधन कर स्वच्छ कर जनहित में सिचाई, निर्माण कार्य व अन्य उचित कार्यों में प्रयोग के लिए तैयार किया जाए, ताकि जिले के किसानों को फायदा हो सके। नियम बनने से हो सकता है जल संकट का समाधान

मेवात में पानी की समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है। यदि पानी के अनावश्यक रूप से दोहन व दुरुपयोग पर कानून बनाकर कड़ाई से पाबंदी लगाई जाए तो। इससे लाखों लीटर पानी की बचत हो सकती है। यहां पर हर रोज टैंकरों, सर्विस स्टेशनों व अन्य कई अनावश्यक रूप से पानी का दोहन किया जा रहा है। इन पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाने की आवश्यकता है, ताकि पानी की बचत हो सके। यही करण है कि यहां के ज्यादातर गांवों में तो सिचाई के लिए ही पानी नहीं है। प्रयास भी हो रहे कामयाब

स्वयंसेवी संस्था सहगल फाउंडेशन ने इस प्रकार की योजना पर जिले में काम किया है। लेकिन ये केवल बरसात के पानी को पीने योग्य बनाने की योजना थी। इस गंदे पानी को साफ करके प्रयोग लायक किया जाए तो जिले में पानी की समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है। बरसात के पानी को इकट्ठा करके पीने के लिए बनाना सफल रहा है। क्योंकि जिले के कुछ संस्थानों ने इसको प्रयोग में लिया है। व्यर्थ बह रहे पानी के लिए एक प्रकार की योजना का होना जरूरी है। इस संबंध में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से बात भी हुई थी। अब इस पूरा पूरा जोर दिया जाएगा। ताकि इस प्रकार की महत्वपूर्ण योजना बन सके और यहां के किसान व आम जनता को पानी की समस्या से ना जूझना पड़े।

- जान मोहम्मद, ठेकेदार, जिला अध्यक्ष जजपा, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ, नूंह


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