स्कूलों का दर्जा तो बढ़ा, लेकिन साल भर रहा शिक्षकों का इंतजार
सरकार ने भले ही जिले को साक्षर बनाने के लिए यहां के स्कूलों का दर्जा बढ़ा दिया हो लेकिन इसके बाद भी स्कूलों में शिक्षिकों की नियुक्ति नहीं की गई।
योगेश सैनी, नूंह
सरकार ने भले ही जिले को साक्षर बनाने के लिए यहां के स्कूलों का दर्जा बढ़ा दिया हो, लेकिन इसके बाद भी स्कूलों में शिक्षिकों की नियुक्ति नहीं की गई। यही बजह है कि जिले के बच्चे निजी शिक्षण संस्थानों की ओर भागते रहे। कुल मिलाकर शिक्षकों की भर्तियों की घोषणाओं व स्कूलों का दर्जा बढ़ने के बाद भी पूरा साल शिक्षकों के इंतजार में बीत गया।
जिले में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं तो काफी बनीं, योजना के तहत जिले के प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्कूलों को भी वरिष्ठ माध्यमिक का दर्जा तो दिया गया, लेकिन पूरा साल बीत जाने के बाद भी अपग्रेड हुए स्कूलों को शिक्षक नहीं मिले। ऐसे में प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों को माध्यमिक तो माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को ही मजबूरन वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों तक को पढ़ाना पढ़ा। इससे शिक्षा सेवाओं में उम्मीद के मुताबिक सुधार नहीं हो पाया। जिले में 82 स्कूल हुए अपग्रेड
2020 में जिले के 14 स्कूलों को वरिष्ठ माध्यमिक व 68 स्कूलों को प्राथमिक से माध्यमिक स्कूल का दर्जा दिया गया। इससे जिले के लोगों को काफी खुशी भी हुई, लेकिन यह खुशी अपग्रेड हुए स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति ना हो पाने से ज्यादा दिन टिक नहीं पाई। जिले के 150 स्कूल हैं शिक्षक विहीन
जिले में करीब 150 ऐसे स्कूल हैं जिनका दर्जा तो बढ़ा दिया गया, लेकिन इनमें दर्जा बढ़ाने के बाद भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई। इससे जिले में करीब 150 स्कूल बिल्कुल शिक्षक विहीन चल रहे हैं। सरकार ने जिले के स्कूलों का दर्जा तो बढ़ा दिया, लेकिन पूरा साल बीत जाने के बाद भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की है। सरकार अगर जिले में शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है तो शिक्षकों की नियुक्ति करना सबसे जरूरी है।
आफताब अहमद, विधायक नूंह शिक्षकों की कमी के बावजूद जिले में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, उनमें शिक्षकों को अतिरिक्त कार्यभार देकर भी बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। शिक्षकों की नियुक्ति कराने के भी पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।
डा. अब्दुल रहमान, जिला परियोजना संयोजक नूंह