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बोरवेलों की पहुंच से दूर हुआ भूजल, किसान परेशान

शेरसिंह चांदोलिया नगीना हरियाणा का नूंह एकमात्र ऐसा जिला है जिसमें फसलों के लिए पानी की

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 05:07 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 05:07 PM (IST)
बोरवेलों की पहुंच से दूर हुआ भूजल, किसान परेशान
बोरवेलों की पहुंच से दूर हुआ भूजल, किसान परेशान

शेरसिंह चांदोलिया, नगीना

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हरियाणा का नूंह एकमात्र ऐसा जिला है जिसमें फसलों के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां के गिरते भूजल स्तर से किसानों की चिता बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में किसानों के लिए नहर का पानी भी ना मिलना दुर्भाग्य की बात है। लोगों के द्वारा लगाए गए बोरवेल भी अब पानी नहीं उठा पर रहे हैं। ऐसे में किसानों के चेहरे पर अब मायूसी है कि आखिर यहां पर अब फसलों को कैसे उगाया जाएगा। जिले के नगीना खंड में कुल 101 जोहड़ (तालाब) बने हुए हैं। ये तालाब उन्हीं गांवों में बने हैं जहां की जमीन में पानी नहीं है। इन तालाबों में से केवल 12 जोहड़ों में बारिश का थोड़ा बहुत कीचड़युक्त पानी मिल सकता है, बाकि 89 जोहड़ बिना पानी के सूखे पड़े हैं। जिनमें लोगों ने मजबूरी में गोबर के उपले थापने शुरू कर रखे हैं। यहां पर कुल 44 पंचायत और 59 गांव हैं, जिनमें से महज दर्जनभर ऐसी पंचायतें हैं जिनमें पीने की थोड़ी बहुत सुविधा है। बाकि सभी गांव टैंकरों पर निर्भर हैं। वर्ष 2005 में यहां की बनारसी डिस्ट्रीब्यूट्री में पानी आया था। उसके बाद एक-एक बूंद के लिए किसान मोहताज हैं।

यहां पर होती है बिना पानी के फसल:

नूंह के गांव राजाका, उलेटा, करहेडी, करहेडा, अकलीमपुर अलावा दर्जनभर ऐसे गांव हैं, जहां की जमीन में पानी नहीं है। इसलिए यहां पर सरसों व गेहूं की फसल को बिना पानी के ही उगाया जाता है। इसलिए यहां के लोगों की मुख्य फसल सरसों व देशी गेहूं की हैं। वैसे यहां के गेहूं की महक पूरे देश में रहती है। क्योंकि यहां पर अव्वल नंबर के गेहूं की फसल होती है। यहां के लोग पीने के लिए भी हमेशा ही टैंकरों का प्रयोग करते हैं।

यहां का गिरा ज्यादा भू जल स्तर:

जिले के बिलोंड, पाठखोयरी, नांगल में भू जल स्तर 1400 फिट तक पहुंच चुका है। ऐसे में किसान परेशान भी और हैरान भी। यदि सरकार ने जल्द ही कोई उपाय नहीं किया तो आने वाले समय में जिले के लोग फसल उगाने से भी वंचित रह सकते हैं। इसलिए किसानों की चिता अब बढ़ने लगी है।

ऐसे हो समस्या का समाधान:

जिले में बारिश के पानी को एकत्रित करके यदि तालाबों में रखा जाए तो कुछ हद तक समस्या का समाधान हो सकता है। उसी पानी को पीने योग्य बनाने की जरूरत है। क्योंकि यहां पर हर रोज टैंकरों से लाखों रुपये का चूना लग रहा है। पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण बिजली की समस्या भी हर समय बनी ही रहती है। यदि बिजली आएगी तो पानी मिलेगा। एक दो दिन बिजली का कट लगने के बाद लोगों में पानी के लिए यहां हाहाकार मच जाता है। जब तक नहरों में पूरे मेवात के लिए पानी नहीं मिलेगा तब तक किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो सकता। जिले के किसानों के लिए नहरी पानी के समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री से जल्द बात की जाएगी। ताकि यहां किसानों को भी अपना हक मिल सके। उम्मीद है किसानों को नहरी पानी जल्द मिलेगा। अमृत सरोवर योजना के तहत तालाबों को संरक्षित किया जा रहा है।

- नसीम अहमद, पूर्व विधायक फिरोजपुर झिरका तथा भाजपा नेता


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