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स्कूल के कमरों के लेंटर डालने में घटिया सामग्री लगाने का आरोप

उपमंडल के बीसरू गांव में एक स्कूल परिसर में बन रहे दो कमरों के लेंटर में मिट्टी जैसी क्रेशर का प्रयोग कर बच्चों की जिदगी को खतरे में डाला जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Nov 2021 06:27 PM (IST)Updated: Sun, 07 Nov 2021 06:37 PM (IST)
स्कूल के कमरों के लेंटर डालने में घटिया सामग्री लगाने का आरोप
स्कूल के कमरों के लेंटर डालने में घटिया सामग्री लगाने का आरोप

संवाद सहयोगी, पिनगवां : उपमंडल के बीसरू गांव में एक स्कूल परिसर में बन रहे दो कमरों के लेंटर में मिट्टी जैसी क्रेशर का प्रयोग कर बच्चों की जिदगी को खतरे में डाला जा रहा है। इतना ही नहीं घटिया किस्म की सीमेंट सहित सीढि़यां बनाने में घटिया ईंटों का प्रयोग किया जा रहा है। पूरा काम विभाग के कनिष्ठ अभियंता साकिर हुसैन की देखरेख में हुआ। ग्रामीण इसका विरोध न करें इसलिए लेंटर के कार्य को दीपावली की रात में पूरा किया गया। रात में किसी ग्रामीण ने इसकी वीडियो बना ली और इंटरनेट मीडिया पर डाल दी। इसके बाद विभाग के कई अधिकारी इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं। लेंटर के कार्य के दौरान मौके पर विभाग के कनिष्ठ अभियंता साकिर हुसैन उपस्थित रहे। जब सुबह ग्रामीणों को इसकी जानकारी लगी तो ग्रामीणों में विभाग के जेई सहित शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी देखी गई।

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ग्रामीण जाकिर, आशिक, जाहिद, प्रेमचंद, अरफात, काला सहित अन्य ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल में घटिया सामग्री से बनी लेंटर की छत ज्यादा दिन नहीं चलेगी। वह कभी भी स्कूली बच्चों के ऊपर गिर सकती है। उन्होंने जिला प्रशासन व सीएम विजिलेंस द्वारा छत के निर्माण कार्य की जांच कराने व घटिया सामग्री से बनी स्कूल की छत को तोड़कर नए सिरे से डालने की मांग की है। साथ ही संबंधित जेई व ठेकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की भी मांग की है। सोमवार को मौके का निरीक्षण कर मामले की जांच की जाएगी। बच्चों की जिदगी के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा।

सुरेश गोरिया, जिला शिक्षा अधिकारी मामला संज्ञान में आया है, काम में लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एसडीओ से इस बारे में जानकारी मांगी है।

नरेंद्र कुमार, जिला परियोजना संयोजक दीपावली की सभी की छुट्टी होती है। इसलिए दीपावली वाले दिन काम किया गया है। जो काली डस्ट है वह पक्की होती है और जो सफेद टेस्ट है वह कच्ची होती है इसलिए काली डस्ट का प्रयोग किया गया है।

साकिर हुसैन, कनिष्ठ अभियंता


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