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स्तनपान से शिशु की बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मां का दूध श्रेष्ठ टॉनिक होता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 04:30 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 04:30 PM (IST)
स्तनपान से शिशु की बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
स्तनपान से शिशु की बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

जागरण संवाददाता, नारनौल:

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बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मां का दूध श्रेष्ठ टॉनिक माना गया है। चिकित्सक ही नहीं अनुभवी माताओं का कहना है कि शिशु को जितना मां का दूध पिलाएंगे उतना बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के साथ आगे चलकर बुद्धिमान भी बनता है। माताओं में स्तनपान के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल एक अगस्त से विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इस बार स्वस्थ दुनिया के लिए स्तनपान का समर्थन संदेश के साथ जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार सीमित रूप से जागरूकता अभियान तक रहेगा।

महिला रोग विशेषज्ञ कहती हैं कि शिशुओं विशेष रूप से छह महीने की आयु तक स्तनपान कराना अनिवार्य है। छह महीने के बाद पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार के साथ दो वर्ष तक अथवा उससे भी अधिक समय तक स्तनपान जारी रखना बच्चे के साथ माताओं के लिए भी फायदेमंद होता है। स्तनपान श्वास, उच्च रक्त चाप, मधुमेह, हृदय रोग जैसी अनेक दीर्घकालिक समस्याओं से भी शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है। मनोवैज्ञानिक रूप में भी प्यार और दुलार से यह मां और बच्चे के बीच भावनात्मक रिश्ते को मजबूत करता है। मां का दूध स्वच्छ और जीवाणु मुक्त होने से संक्रमण रोधी कारक होते हैं।

मां को भी है स्तनपान कराने का फायदा:

स्तनपान कराने को लेकर माताओं में विभिन्न प्रकार की भ्रांतिया हैं लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि स्तनपान कराने से मां को स्वास्थ्य संबंधी अनेक फायदे होते हैं। शिशु के जन्म के दस मिनट बाद ही स्तनपान कराया जाता है तो प्रसव के बाद रक्तस्त्राव में कमी होती है। इससे एनीमिया की शिकायत कम रहेगी। स्तनपान कराने वाली माताओं में मोटापा कम करने के साथ ब्रेस्ट कैंसर से भी बचाता है। शिशु के पालन-पोषण और व्यावहारिक रूप में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मां के दूध का उत्पादन मांग और आपूर्ति पर आधारित होता है। मां जितना अधिक स्तनपान कराती है दूध उतना ही अधिक उतरता है।

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बदलती जीवन शैली में स्तनपान को लेकर बहुत सी भ्रांतियां हैं। इन्हें दूर करने के लिए विशेषज्ञों द्वारा काउंसिलिग जरूरी है। हमारे पास आने वाली गर्भवती और प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को ही नहीं उनके परिजनों को भी स्तनपान के प्रति जागरूक करते हैं। सप्ताह भर चलने वाले अभियान में आशा वर्कर और एएनएम को स्तनपान के प्रति जागरूक कैसे करना इै इसके लिए प्रशिक्षण देते रहे हैं। इस बार कोविड-19 के चलते शिक्षण संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम नहीं चला पाएंगे। सोशल मीडिया और स्वास्थ्य केंद्रों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर स्तनपान के प्रति प्रेरित करने का प्रयास रहेगा।

- डॉ. अंजली सैनी, वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ, नागरिक अस्पताल नारनौल।


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