पपीते का रस, बकरी के दूध और कीवी फल के सहारे डेंगू के डंक को हराने की हो रही है जंग
एक बार फिर डेंगू ने बड़े बुजुर्ग महिला और बचों संग युवाओं को भी अपने चपेट में ले लिया है।
बिरंचि सिंह, नारनौल :
एक बार फिर डेंगू ने बड़े, बुजुर्ग, महिला और बच्चों संग युवाओं को भी अपने चपेट में ले लिया है। डेगू डंक से परेशान मरीज सरकारी से गैर सरकारी डाक्टरों के यहां दौड़ लगा रहे हैं तो फार्मासिस्ट की दुकानों पर दवा लेने क लिए कतार लगी हुई है। एक तरफ मरीजों को डाक्टर से इंजेक्शन, दवा के साथ पानी चढ़ाने के साथ धैर्य रखने की सलाह दी जा रही है वहीं दूसरी तरफ डेंगू के मरीज शरीर में प्लेटलेट का न्यूनतम स्तर बनाए रखने के लिए पपीते का रस, बकरी के दूध और कीवी फल का सहारा ले रहे हैं। डेंगू के इलाज के दौरान मरीज इन चीजों का बखूबी सेवन भी कर रहे हैं। ऐसे में इनकी मांग बढ़ गई है। लोग शहर की कालोनियों से लेकर गांव के बाग बगीचों में पपीते का रस निकालते दिख रहे हैं। जिनके घर में बकरी है वे एक लीटर बकरी का दूध 100 रुपये किलो में बेच रहे हैं। बाजार में मिलनेवाला फल कीवी का दो पीस 100 रुपये में मिल रहा है। हालांकि, चिकित्सकों का मानना है कि बकरी के दूध, पपीते के रस, कीवी सहित अन्य दवा से प्लेटलेट्स काउंट बढ़ने का कोई डाटा नहीं है। चिकित्सक यह भी बताते हैं कि डेंगू के मरीजों का प्लेटलेट्स छठे से सातवें दिन बढ़ने लगता है। इसलिए मरीज के परिजन घबरा जाते हैं और प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए इन चीजों का इस्तेमाल करने लगते हैं। नेशनल इंटिग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन नारनौल के सचिव और देवकी नंदन अस्पताल के डाक्टर संदीप कहते हैं कि जांच के आधार और डाक्टरों की सलाह पर ये चीजें सीमित मात्रा में दी जा सकती है। बगैर डाक्टरों के सलाह इनके सेवन करने से नुकसान हो सकता है।