दो ट्रेन चली दोनों नहीं रुकती
कनीना खास नामक रेलवे स्टेशन पर अनलाक के वक्त दो ट्रेन चलनी शुरू हुई मगर दोनेां नहीं रुकती है।
संवाद सहयोगी, कनीना: कनीना खास नामक रेलवे स्टेशन पर अनलाक के वक्त दो ट्रेन चलनी शुरू हुई हैं, कितु दोनों ही नहीं रुकती। कोरोना से पूर्व कनीना खास रेलवे स्टेशन पर कुछ ट्रेनों का अस्थाई ठहराव किया गया था कितु वो ठहराव भी कोरोना की भेंट चढ़ गया था। वर्षों से यहां ट्रेन न रुकने की समस्या चली आ रही है। वहीं दूसरी ओर छोटे रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रुक जाती है और उपमंडल स्तरीय रेलवे स्टेशन पर कोई ठहराव न होने से परेशानी जस की तस रह जाती है।
व्यापार मंडल प्रकोष्ठ के उप प्रधान रविद्र बंसल, मुकेश पार्षद, प्रहलाद पार्षद, मुकेश नंबरदार आदि ने बताया कि दुर्भाग्य कनीना खास के साथ ही रहा है। जहां कनीना खास रेलवे स्टेशन 20 हजार आबादी के कस्बे से बना सैनिक बाहुल्य सब-डिवीजन होते हुए भी हाल ही में दो ट्रेन जोधपुर- दिल्ली तथा बीकानेर- दिल्ली पुन: चलाई गई हैं कितु इनका फायदा कनीना को नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि विगत इतिहास में हलका कनीना को तोड़ा जाना, जेबीटी को खत्म किया जाना, कनीना खास रेलवे स्टेशन पर सभी ट्रेनों का ठहराव ने करना कनीना के साथ भेदभाव को इंगित करते हैं। यहां तक कि कनीना की पालिका को भी वर्ष 2000 में तोड़ दिया था और कनीना ग्राम पंचायत बनाकर चुनाव करवा दिये थे। उनका कहना है कि कनीना ने जहां नेताओं और मंत्रियों की फौज दी है। किसी जमाने में जहां पेप्सू रियासत के समय भी कनीना के सूबेदार ओंकार सिंह मंत्री होते थे, वहीं कनीना के राव दलीप सिंह मंत्री हुए हैं, वहीं कर्नल राम सिंह भी कनीना से संबंध रखते थे। बनवारीलाल, सूबेदार लाल सिंह भी कनीना से विधायक रहे हैं। परंतु दुर्भाग्य है कि कनीना खास (1935) में रेलवे स्टेशन होते हुए भी कोई ट्रेन नहीं रुकती है। कहने को तो उपमंडल तो है, परंतु सुविधाओं का टोटा है। ट्रेन पकड़ने के लिए भी कनीना वासियों को कम से कम 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।