जिला में तिल कुटनी का व्रत हर्षोल्लास के साथ मनाया
तिल तिड़क्यों अर दिन भड़क्यों ..हरियाणा की यह लोक कहावत वर्षो पुरानी है। वर्षों से महिला तिल कुटनी व्रत बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
जागरण संवाददाता, नारनौल: तिल तिड़क्यों अर दिन भड़क्यों ..हरियाणा की यह लोक कहावत वर्षो पुरानी है। वर्षों से महिला तिल कुटनी व्रत बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। माघ महीने में गणेश चतुर्थी का व्रत तिल कुटनी से प्रसिद्ध है। पंडित अरुण ने बताया कि इस दिन भगवान गणेश को तिल के लड्डू का भोग लगाने और कहानी सुनकर बड़ों का आशीर्वाद लेती है। रात को चंद्रमा को तिल, पुष्प और जल से अर्घ्य देकर संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्रार्थना की जाती है। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद यह व्रत अपने आप में एक अनूठा उत्सव होता है। हालांकि रात को जब व्रत खोलने का समय आया तो आसमान में घना कोहरा और बादल छाए रहे, जिससे ज्यादातर महिलाओं को व्रत खोलने के लिए काफी इंतजार करना पड़ा।
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माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया तिल कुटनी :
संकटचौथ का त्योहार माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इसे आमतौर पर तिल कुटनी व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन संकट हरण गणपति गणेश जी का पूजन होता है। इस दिन पुत्रवती स्त्रियां दिनभर निर्जल रहकर शाम को फलाहार करती हैं, जिसके बाद संकट माता को पकवान चढ़ाती हैं और कथा सुनती हैं। इस दिन तिल को भूनकर गुड़ के साथ कूटकर दिन में फलाहार के रूप में लेती है।