शहर में नहीं थम रहा बेसहारा पशुओं पर अंकुश
शहर में बेसहारा पशुओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। आए दिन सड़कों पर पशुओं की लड़ाई और जमावड़ा के चलते आमजन को हादसों और जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है। हर बार नगर परिषद प्रशासन जल्द कैटल फ्री कराने का दावा करता रहता है लेकिन समस्या वहीं है।
जागरण संवाददाता, नारनौल: शहर में बेसहारा पशुओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। आए दिन सड़कों पर पशुओं की लड़ाई और जमावड़ा के चलते आमजन को हादसों और जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है। हर बार नगर परिषद प्रशासन जल्द कैटल फ्री कराने का दावा करता रहता है, लेकिन समस्या वहीं है। नगर परिषद द्वारा बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे। अभी टेंडर छोड़ने के बाद कब अभियान चलाकर शहर को कैटल फ्री घोषित किया जाता है यह आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन आज आम आदमी इन पशुओं के आतंक के साए में रहने को मजबूर है।
शहर का कोई क्षेत्र नहीं बचा है जहां बेसहारा पशुओं का आतंक नहीं हो। लोगों का कहना है कि शहर और दुकान के आसपास विचरने वाले ये पशु कब हिसक हो जाएं पता ही नहीं चलता। अभी दस दिन पहले एक सांड के हमले के कारण एक मोटरसाइकिल सवार युवक की भी मौत हो चुकी है। इन पशुओं की हिसा से घायल होने और जान गंवाने वालों की प्रशासन के पास कोई रिकार्ड भी नहीं होता, जिसका क्षति पूर्ति मिल सके।
चार साल पहले हुआ था कागजों में कैटल फ्री:
कहने को तो कागजों में चार साल से नारनौल कैटल फ्री है, लेकिन हकीकत में स्थिति बिल्कुल उलट है। कुछ बेसहारा पशु सुबह से लेकर शाम तक शहर के सामान्य बस अड्डा, मुख्य सड़क मार्ग सिघाणा रोड, महेंद्रगढ़ रोड, रेवाड़ी रोड, निजामपुर रोड, महिला आईटीआई के निकट, आजाद चौक स्थित पुरानी सब्जी मंडी समेत शहर के गली-मोहल्लों में घूमते रहते हैं। दूसरी ओर कुछ ऐसे भी हैं जो दूध निकालने के बाद पशुओं को दिनभर छोड़ देते हैं ताकि इधर-उधर घूमकर पेट भर सकें। कुछ ऐसे भी पशु हैं जो दूध देने के काबिल नहीं हैं और बीमार व उम्र दराज हो चुके हैं। ऐसे पशु सड़क के बीच में बैठने के साथ रास्ता जाम करते हैं। इससे जहां सड़क दुर्घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं अक्सर हिसक होकर राहगीरों पर हमला कर उन्हें घायल कर देते हैं। इस प्रकार बेसहारा पशु राहगीरों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। सर्दी में हादसों का ज्यादा रहता खतरा:
इन पशुओं के कारण सर्दी के मौसम में हादसों का ज्यादा खतरा रहता है। धुंध के दौरान ²श्यता कम होने पर ये बेसहारा पशु हादसों का बड़ा कारण बनते हैं। नया अधिकारी आता है तो जगती है उम्मीद:
ऐसा नहीं है कि प्रशासन को बेसहारा पशुओं की भरमार की जानकारी नहीं है। नगर परिषद का कोई अधिकारी आता है तो अपने प्राथमिक कार्यों में कैटल फ्री शहर बनाना भी होता है। कुछ दिन उत्साह और सक्रियता दिखती है, लेकिन धीरे-धीरे पुराने ढर्रे पर स्थिति बन जाती है। अब कार्यकारी अधिकारी के रूप में नई अधिकारी ने कार्यभार संभाला तो कैटल फ्री शहर बनाने की मुहिम शुरू कर दी है। इसके लिए बेसहारा पशुओं को पकड़कर नंदीशाला में छोड़ने के लिए टेंडर आमंत्रित किए जा चुके हैं। उम्मीद है जल्द टेंडर छोड़कर पशुओं के पकड़ने की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। शहर में कहीं भी निकलें बेसहारा पशुओं के कारण डर बना रहता है। मुझ जैसे बुजुर्ग और बच्चों के लिए हमेशा खतरा बना रहता है। पिछले चार पांच साल से तो शहर में बेसहारा पशुओं का आवागमन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। प्रशासन को ठोस कदम उठाना चाहिए।
जगराम आर्य, केशव नगर शहर में इन पशुओं के कारण माल के साथ जान को भी खतरा बना हुआ है। दुकानों के बाहर सामान रखना संभव नहीं है। कई बार तो इतने हिसक होते हैं कि बिना किसी कारण के ही सामान और ग्राहकों पर हमला करना शुरू कर देते हैं। सुबह, शाम और रात के समय भी ये पशु दुकानों के बाहर और सड़कों पर घूमते और बैठे रहते हैं।
प्रवीन सैनी, दुकानदार, महावीर चौक