नारनौल के तहसीलदार मां चामुंडा देवी मंदिर के रिसीवर होंगे
मां चामुंडा देवी मंदिर के रिसीवर बनाए गए नारनौल के तहसीलदार।
जागरण संवाददाता, नारनौल : शहर के आजाद चौक के पास स्थित प्रसिद्ध मां चामुंडा देवी मंदिर के रिसीवर अब नारनौल के तहसीलदार होंगे। निचली अदालत के फैसले को रद करते हुए एडीजे की अदालत ने यह फैसला सुनाया है। जबकि पूर्व में चले केस की सुनवाई करते हुए निचली अदालत ने शिकायतकर्ता को ही मंदिर का रिसीवर नियुक्ति करने के आदेश सुनाए थे, जिसे ट्रस्ट की ओर से अपील के जरिए ऊपरी अदालत में चुनौती दी गई थी।
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र सोनी उर्फ टीटू बनाम मां चामुंडा देवी ट्रस्ट एक केस एडिशनल सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में चल रहा था, जिसकी सुनवाई करते हुए गत 4 जनवरी को अदालत ने फैसला शिकायतकर्ता नरेंद्र सोनी के पक्ष में देते हुए उसे ही रिसीवर नियुक्त कर दिया था। इस पर ट्रस्ट को आपत्ति हुई और उन्होंने ऊपरी अदालत में इस फैसले के विरुद्ध याचिका दायर कर दी। याचिका की सुनवाई करते हुए एडीजे अजय तेवतिया की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को रद कर दिया तथा नारनौल के तहसीलदार को इसका रिसीवर नियुक्त कर दिया है। साथ ही 1986 में न्यायालय में पंजीकृत हुई डीड के अनुसार नये ट्रस्ट का गठन करने का आदेश भी दिया था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ भंग ट्रस्ट के प्रधान सूरज बौहरा व अन्य पदाधिकारियों ने सेशन कोर्ट में अपील दायर की थी।
यह है मामला :
नारनौल के चामुंडा देवी मंदिर में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक ट्रस्टी नरेंद्र सोनी उर्फ टीटू ने अदालत में एक प्रतिनिधिवाद दायर किया था, जिसमें नरेंद्र सोनी ने ट्रस्ट के सभी पदाधिकारियों सहित सदस्यों को भी प्रतिवादी बनाया था। अपनी याचिका में नरेंद्र सोनी ने मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर दान में प्राप्त चांदी-सोना व धनराशि में घोटाला करने तथा मंदिर की उचित देखभाल न करने का आरोप लगाया था।
मंदिर का इतिहास :
शहर के बीच में सैकड़ों साल पुराना मां चामुंडा देवी प्राचीन मंदिर स्थित है। वर्ष 1986 में एक ट्रस्ट का गठन किया गया, जो मंदिर का संचालन करता था। ट्रस्ट के प्रधान एवं पुजारी पंडित रूपचंद शर्मा थे। रूपचंद शर्मा के निधन के बाद पं रामकिशन के हाथों में ट्रस्ट की बागडोर आई। वर्ष 2009 में पं रूपचंद के निधन के बाद विवाद उत्पन्न हुआ। वर्ष 1986 में गठित ट्रस्ट के नवंबर 2011 तक महज पांच ट्रस्टी ही बचे थे। इस पर ट्रस्ट को पुन: एक्टिव करने एवं सदस्य बढ़ाने का निर्णय शेष ट्रस्टियों द्वारा लिया गया और प्रधान पंडित सूरज बौहरा को बना दिया गया। सुभाष चौधरी उपप्रधान एवं चेतन चौधरी को सचिव तथा अन्य को सदस्य बनाया गया। मंदिर का पुजारी पंडित रूपचंद शर्मा के बेटे सत्यनारायण शर्मा को बनाया गया, जबकि पूर्व में इनके पिता व दादा के पास प्रधानी भी रही। वर्ष 2014 में एक ट्रस्टी नरेंद्र सोनी उर्फ टीटू अनियमितताओं को लेकर कोर्ट में चले गए थे।
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वर्जन :
मंदिर में जो आय होती है। जो पैसा एवं सोना-चांदी आता है, उसमें गड़बड़ियां होती थी और मंदिर ट्रस्ट की डीड व संविधान के अनुसार काम नहीं करते थे। काम सही नहीं होने का मैंने विरोध भी किया था। पर मेरी सुनवाई नहीं हुई तो मैं अदालत की शरण में चला गया। वर्ष 2014 के बाद मैं कभी मंदिर के अंदर नहीं गया। अब न्यायपालिका का जो फैसला आया है, उसका स्वागत है और मुझे उम्मीद है कि अब सही प्रकार से कार्य होंगे।
- नरेंद्र सोनी, उर्फ टीटू, वादी। वर्जन :
वर्ष 1986 में गठित ट्रस्ट डीड के अनुसार ही नया ट्रस्ट गठित किया गया था। इस ट्रस्ट में इनकम कम और खर्चें ज्यादा हैं। बैंक अकाउंट भी इसी कारण नहीं खुलाया गया। मंदिर में जो चढ़ावा आता है, उसे मंदिर का पुजारी रखता है। ट्रस्ट ने कभी कोई चंदा नहीं किया है और न कभी कोई धांधली की। जो भी आय होती है, उसे मंदिर की ही गोदरेज अलमारी में रखा जाता है। उसका कभी भी कोई भी हिसाब ले सकता है। कभी कोई दुरुपयोग नहीं किया, बल्कि ट्रस्टियों ने अपने स्तर पर मंदिर संचालन की व्यवस्था की हुई है।
- सूरज बौहरा, पूर्व प्रधान, मां चामुंडा देवी मंदिर ट्रस्ट, नारनौल। वर्जन :
जब प्रधान सूरज बौहरा को बनाया गया, तब ट्रस्ट का पुनर्गठन हुआ था और मुझे मंदिर का पुजारी बनाया गया था। मंदिर में जो चढ़ावा आता है, वह मेरे पास होता है, जबकि दानपात्र व गुल्लक में जो चंदा आता है, वह ट्रस्ट के पास होता है। मैं साल के दोनों नवरात्रे, जन्माष्टमी व अन्नकुट मैं कराता आया हूं, जबकि शरद पूर्णिमा पूर्व की व्यवस्था ट्रस्ट वाले करते आए हैं। ट्रस्ट को कितनी इनकम होती है, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है।
- सत्यनारायण शर्मा, पुजारी, मां चामुंडा देवी मंदिर ट्रस्ट, नारनौल।