जल बचाओ अभियान, बूंद-बूंद है कीमती..
कस्बा कनीना यूं तो जोहड़ों का कस्बा नाम से जाना जाता है। जहां कनीना के प्रादुर्भाव से पहले कालरवाली जोहड़ का नाम एक है। वर्तमान में कस्बा का अधिकांश पानी सहेजे हुए हैं।
संवाद सहयोगी, कनीना: कस्बा कनीना यूं तो जोहड़ों का कस्बा नाम से जाना जाता है। जहां कनीना के प्रादुर्भाव से पहले कालरवाली जोहड़ का नाम एक है। वर्तमान में कस्बा का अधिकांश पानी सहेजे हुए हैं। कभी शुद्ध जल से भरा हुआ यह जोहड़ दूर दराज तक प्रसिद्ध था, जिसके जल का लोग आचमन करके इसके तट पर पूजा अर्चना करते थे। कालांतर में इसका जल गंदे जल से तबदील हो गया। यद्यपि एसटीपी(सीवर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) के निर्माण के बाद से इस जोहड़ का जल फसल उत्पादन में सबसे अधिक काम में लाया जा रहा है।
एक वक्त था जब कस्बा कनीना में छोटी बणी, कालरवाली जोहड़ से शुरू होकर संत शिरोमणि मोलड़नाथ और बस स्टैंड तक पहुंचती थी। यहां पर दामोदरदास की कुई होती थी। दामोदरदास एक संत होते थे जिन्होंने जोहड़ के किनारे तप स्थल बनाया था और जल के लिए कुआं खुदवाया था। उनके यहां से प्रस्थान के बाद कुआं भी समाप्त हो गया है कितु अवशेष आज भी उपलब्ध हैं। कालरवाली जोहड़ के तहत करीब 20 एकड़ जमीन होती थी। यह स्थान कंकरों वाला होता था और चारों ओर से कैर व जाल के पेड़ों ने घेराव हुआ था। इसलिए इसे कालरवाली नाम से पुकारा जाता है। नगर पालिका के पूर्व कर्मी स्व. मंगल सिंह ने यहां न केवल पीपल के पेड़ लगाए, अपितु इन पेड़ों की सेवा भी की। बुजुर्ग रघुबीर सिंह व चौ. तारा सिंह जोहड़ का आचमन करते थे और इसके तट पर घंटों पूजा अर्चना करते थे। यहां पर गाय इकट्ठी होती थी। साफ-सुथरा पानी होने के कारण पानी का उपयोग किया जाता था। उस वक्त बारिश अधिक होने के कारण भी इस जोहड़ में पानी अधिक ठहरता था। कालांतर में गंदे पानी के जोहड़ में तब्दील कर दिया गया। नगर पालिका की ओर से कस्बा कनीना के संपूर्ण नाले और नालियों का जल होलीवाला और कालर वाली जोहड़ में डालने की योजना बनी और यहां गंदा जल भरने लगा, लेकिन सीवर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लग जाने से इस जोहड़ में सहेजा हुआ गंदा पानी भी बेशकीमती बन गया है। इस जोहड़ का पानी वर्तमान पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने एसटीपी तक पहुंचाने की नई योजना बनाई और उसे सिरे चढ़ा दिया है। पानी को पाइपों द्वारा एसटीपी तक ले जाया जाता है, जहां शोधित पानी को किसानों के खेतों में उपयोग किया जाता है।
क्या कहते हैं पालिका के पूर्व प्रधान-
वयोवृद्ध नगर पालिका के पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह बताते हैं कि यह जोहड़ बुजुर्गों के लिए एक प्रकार से वरदान था। इधर से घूमने फिरने वाले लोग यहां आराम करते थे और शकुन मिलता था। इस जोहड़ के जल का आचमन करते थे, इसमें स्नान करके, तटपर पूजा अर्चना करते थे और बैठकर घंटों तप करते थे।