कार्यालय भवन निर्माण को लेकर फिर गर्माने लगी राजनीति
उपमंडल क्षेत्र में न्यायालय व लघु सचिवालय के भवन निर्माण को लेकर एक बार फिर से राजनीति गर्माने लगी है।
संवाद सहयोगी, कनीना: उपमंडल क्षेत्र में न्यायालय व लघु सचिवालय के भवन निर्माण को लेकर एक बार फिर से राजनीति गर्माने लगी है। भवन निर्माण कमेटी द्वारा कनीना से दूर उन्हानी में बनाने को लेकर सरकार को रिपोर्ट सौंपने के बाद लोगों में रोष बढ़ने लगा है।
लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कनीना में न्यायालय एवं सचिवालय बनाने का निर्णय लेने के साथ गत वर्ष तीन मार्च को शिलान्यास भी किया था। इसके बावजूद कमेटी द्वारा न्यायिक परिसर का निमार्ण भवन निर्माण कमेटी द्वारा उन्हानी में चिह्नित भूमि पर किए जाने का प्रस्ताव सरकार को सौंपे जाना उचित नहीं है। इस संबंध में जहां 65 दिनों तक कनीना वासियों का धरना चला। कनीना में न्यायिक परिसर नहीं बनेगा तो इसके लिए अधिकारियों से बात करेंगे और कनीना में ही इसे बनवाने पर जोर रखेंगे। आगे की रणनीति भविष्य में तय की जाएगी। न्यायिक परिसर एवं सचिवालय कनीना में ही बनने चाहिए। इसी मांग को लेकर धरना चला था। जो मुख्यमंत्री द्वारा मान लेने और कनीना के सचिवालय परिसर का शिलान्यास कनीना में कर देने के बाद ही धरना समाप्त हुआ था।
सूमेर सिंह, स्थानीय नागरिक न्यायिक परिसर और सचिवालय कनीना का अधिकार है। सभी बातें पूर्ण हो गईं थीं। उसका निर्माण कनीना में ही किए जाने की बात हो चुकी थी। मुख्यमंत्री ने शिलान्यास भी कर दिया था, तो फिर अब सरकार को अपने फैसले पर कायम होना चाहिए। इस बाबत मुख्यमंत्री से मिलेंगे और उनसे अपनी मांग रखेंगे और अपना हक भी दर्शाएंगे।
मोहन सिंह, पार्षद न्यायिक परिसर और सचिवालय भवन कनीना में ही बनने चाहिए। अगर अन्यत्र बनते हैं तो एक बार फिर से आंदोलन करने के लिए तैयार हैं। निकट भविष्य में फिर से कस्बा वासियों की सलाह और बैठक आयोजित करके उचित निर्णय लेते हुए आगामी कार्रवाई करेंगे। कनीना का हक कनीना को ही मिलना चाहिए। इसके लिए उन्होंने लंबे समय तक संघर्ष किया है, फिर भी यदि सरकार उनकी मांग को नहीं मानती तो मजबूरन आंदोलन पर उतरना होगा।
- मास्टर दलीप सिंह, पूर्व प्रधान नगर पालिका। शहर वासियों के संघर्ष, क्षेत्र की जनता के दिए साथ एवं केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह के सहयोग से उपमंडल (कनीना) के प्रशासनिक भवन का शिलान्यास, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कनीना में कर दिया था, लेकिन न्यायिक परिसर भवन की साइट का फाइनल होना लंबित था। इस साइट को फाइनल करने का अधिकार हाईकोर्ट पंजाब एवं हरियाणा की बिल्डिंग कमेटी के न्यायाधीशों के अधीन था। समय- समय पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने दोनों जगहों का निरीक्षण किया। तत्पश्चात उच्च न्यायालय ने अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार करके हरियाणा सरकार को भेज दी है। जिस जगह को उन्होंने फाइनल किया है वह उन्हानी है। हम चाहते हैं कि कनीना का हक कनीना को मिलना चाहिए।
- महेश बोहरा,स्थानीय नागरिक