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संदीप पूनिया : शादी के तीन दिन बाद ही पहुंच गए प्रैक्टिस करने, गुरु ने कहा एक दिन जाएगा आगे

पूर्व कैप्टन सीताराम नागौर ने भारतीय सेना में 50 किलोमीटर पैदल चाल चार घंटे 26 मिनट में पूरी कर रिकॉर्ड बनाया था। संदीप सिंह ने यह रिकॉर्ड 11 नवंबर 2008 को चार घंटे 25 मिनट में ही तोड़ दिया। गुरु ने कह कि एक दिन संदीप बहुत आगे जाएगा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 04:09 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 04:09 PM (IST)
संदीप पूनिया : शादी के तीन दिन बाद ही पहुंच गए प्रैक्टिस करने, गुरु ने कहा एक दिन जाएगा आगे
सुरेती जाखल निवासी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी संदीप पूनिया

नारनौल [बलवान शर्मा]। जिले के गांव सुरेती जाखल निवासी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी संदीप पूनिया की 29 मार्च 2008 को गीता पूनिया के साथ शादी हुई और एक अप्रैल 2008 को ही गुरु सीताराम ने पैदल चाल की ट्रेनिंग के लिए बुला लिया। शादी के तीन दिन बाद ही संदीप सिंह अपनी दुल्हन को घर में छोड़कर गुरुके पास पहुंच गए थे। आठ महीने तक इतना पसीना बहाया कि अपने ही गुरु के भारतीय सेना के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर डाला।

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पूर्व कैप्टन सीताराम नागौर ने भारतीय सेना में 50 किलोमीटर पैदल चाल चार घंटे 26 मिनट में पूरी कर रिकॉर्ड बनाया था। संदीप सिंह ने यह रिकॉर्ड 11 नवंबर 2008 को चार घंटे 25 मिनट में ही तोड़ दिया। उसी दिन गुरु ने कह दिया था कि एक दिन संदीप बहुत आगे जाएगा। वैसे तो जिले के गांव सुरेती जाखल निवासी संदीप कुमार शुरू से ही खेल में अग्रणी रहे हैं। बेशक परिवार के आर्थिक हालात बहुत अच्छे नहीं थे पर गांवों में आस-पास लगने वाले खेल मेलों व दंगल में वह अक्सर खेलने जाते थे और जीतकर आते थे।

करीब छह फुट के संदीप सिंह का दौड़ने के लिए अभ्यास घर से ही शुरू हो गया था। पिता प्रीतम सिंह ने गाय, भैंस व बकरियां पाली हुई थीं और बचपन में संदीप इन पशुओं को चराने जाता था। जैसे-तैसे बारहवीं कक्षा पास की तो सेना ने 2006 में रेवाड़ी में खुली भर्ती आयोजित की। संदीप ने पहले ही प्रयास में शारीरिक व लिखित दोनों टेस्ट पास कर लिए। सेना में ट्रेनिंग चल रही थी तो अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी कैप्टन सीताराम की नजर पड़ी। उन्होंने पैदल चाल खेल में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। वहीं से संदीप ने विश्व खेल मानचित्र पर कदम रखे।

घर की माली हालत अच्छी नहीं थी। पिता बचपन में गाय-भैंस-बकरी चराने भेजते थे। उसके पीछे चलते-भागते कब चाल तेज हो गई पता ही नहीं चला। फिर आसपास के गांवों में होने वाले दंगल, खेल-कूद में भाग लेने लगे। बारहवीं के बाद सेना की खुली भर्ती में शामिल हो गए। और यहीं से संदीप की जिंदगी ने चाल बदल ली।

संदीप की मां ओमपति का सन 1997 में निधन हो गया था। उस समय संदीप की उमर महज 7-8 साल ही थी। संदीप के परिवार में एक बहन ममता व बड़ा भाई सुरेंद्र है। सुरेंद्र अपने पिता प्रीतम सिंह के साथ खेती का कार्य करते हैं। सुरेंद्र ने बताया कि संदीप बचपन में बकरियों का खूब दूध पीता था। घर में 20-22 बकरियां पाली हुई हैं। पिताजी ने मां व बाप दोनों की भूमिका निभाई है। उस समय संदीप बहुत छोटा था और परिवार की आर्थिक हालत बहुत ही खराब थी । रियो ओलंपिक 2016 में भी संदीप भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनकी सफलता के पीछे हमारे पिता प्रीतम सिंह की संघर्ष की गाथा छिपी है।


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