Haryana Land Crack: किसी बड़े खतरे का संकेत है हरियाणा में जमीन फटने की घटना
Haryana Land Crack जमीन फटने की घटना अत्यधिक भूजल दोहन का परिणाम है। तीन जुलाई के भूकंप और इसके बाद आई बारिश ने अंदर हुई हलचल को सतह पर ला दिया।
नारनौल/महेंद्रगढ़ [महेश कुमार वैद्य]। Haryana Land Crack: दिल्ली से सटे हरियाणा के नारनौल के गांव खेड़ी-कांटी में हुई जमीन फटने की चौंकाने वाली घटना के सही कारण बेशक जांच पूरी होने के बाद ही सामने आएंगे, मगर प्रारंभिक जांच में इसे अत्यधिक भूमिगत जल दोहन का परिणाम माना जा रहा है। अन्य क्षेत्रों के मुकाबले अरावली क्षेत्र के उन स्थानों पर इस तरह के खतरे अधिक हैं, जहां अंधाधुंध भूजल दोहन हो रहा है। जमीन फटने की यह घटना आने वाले समय में किसी बड़े खतरे का संकेत है। यह खतरा भूकंप से कम बल्कि भूजल दोहन से अधिक है। जिस खेड़ी-कांटी गांव में जमीन में एक से तीन फुट चौड़ी व लगभग एक किमी लंबी सर्पाकार दरार आने की घटना हुई है, वहां का भूजल स्तर दो वर्ष में 20 फुट से अधिक नीचे पहुंच गया है।
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वहीं, विशेषज्ञों के अनुसार दोहन से जमीन खोखली हो चुकी थी। गत 3 जुलाई को आए भूकंप से यहां जब भूगर्भीय हलचल बढ़ी तब जमीन में दरार आ गई। इसके बाद हुई बारिश ने इस दरार को चौड़ा कर दिया। अरावली क्षेत्र में कहीं-कहीं जल स्तर का सही आकलन भी संभव नहीं है, क्योंकि यहां जमीनी पानी की बजाय कई स्थानों पर चट्टानों के बीच भरा हुआ पानी भी कुंओं के माध्यम से निकाला जा रहा है।
वीएस लांबा (वरिष्ठ हाइड्रोलॉजिस्ट) का इसको लेकर कहना है कि मैं खुद मौके पर गया था। पूरा मामला प्रथम ²ष्टया ही स्पष्ट सा नजर आ रहा है। जमीन फटने की घटना अत्यधिक भूजल दोहन का परिणाम है। तीन जुलाई के भूकंप और इसके बाद आई बारिश ने अंदर हुई हलचल को सतह पर ला दिया। हालांकि अधिक गहराई से जांच के बाद ही अंतिम निष्कर्ष सामने आएगा। वर्ष 1966 में जितने नलकूप पूरे हरियाणा में थे अब अकेले महेंद्रगढ़ जिले में हो चुके हैं।
जानने योग्य प्रमुख बातें
- हरियाणा के लगभग 60 विकास खंड ऐसे हैं, जहां अत्यधिक भूजल दोहन हो रहा है।
- देश में हरियाणा ऐसा चौथा राज्य है जहां प्रतिशत के हिसाब से अत्यधिक दोहन वाले विकास खंड सबसे अधिक है। दिल्ली व इससे सटे एनसीआर की हालत सबसे चिंताजनक है।
- रेवाड़ी जिले में केवल खोल विकास खंड में चिंता है। शेष विकास खंडों में स्थिति चिंताजनक नहीं है।
- गुरुग्राम में हर वर्ष आधा मीटर से भी अधिक की गति से पानी नीचे जा रहा है।
भविष्य की उम्मीद
राज्य सरकार हरियाणा के 16 हजार से अधिक तालाबों का पुनर्भरण करने का प्रयास कर रही है। धान को हतोत्साहित करके कम पानी वाली फसलों की पैरवी की जा रही है। बाजरा जैसी कम पानी की फसल के समर्थन मूल्य में सबसे अधिक बढ़ोतरी की गई है। डार्क जोन में नए ट्यूबवेल कनेक्शन पर प्रतिबंध लगाया गया है।
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