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ग्राम पंचायत चुनाव: 6 साल पहले हुई बूथ कैपचरिंग मामले के दोषियों को 10-10 साल कैद की सजा, पढ़िए पूरा मामला

गांव इंद्री में 24 जनवरी 2016 को ग्राम पंचायत के चुनाव के दौरान बूथ कैपचरिंग की शिकायत सामने आई थी। शिकायत के आधार पर प्रवीण मोंटी जग्गी उर्फ जगदीश गुलशन बिल्लू सतीश दीपक सचिन दीपक कुमार और आनंद को गिरफ्तार किया गया था।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 05:46 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 05:46 PM (IST)
ग्राम पंचायत चुनाव: 6 साल पहले हुई बूथ कैपचरिंग मामले के  दोषियों को 10-10 साल कैद की सजा, पढ़िए पूरा मामला
अदालत ने सभी को दोषी ठहराते हुए 10-10 साल कैद की सजा सुना दी।

नूंह [आदित्यराज]। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रशांत राणा की अदालत ने 24 जनवरी 2016 को ग्राम पंचायत इंडरी में चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने, ईवीएम को क्षतिग्रस्त करने, चुनाव अधिकारियों से अभद्रता के मामले में 10 आरोपितों को 10-10 साल की सजा सुनाई है।

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बता दें कि ग्राम पंचायत के चुनाव में 24 जनवरी 2016 को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय इंडरी के बूथ नंबर 116, 117, 118 में आरोपितों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर चुनाव प्रक्रिया बाधित की, कागज फाड़ा एवं ईवीएम को क्षतिग्रस्त किया। साथ ही चुनाव अधिकारियों से अभद्रता भी की थी। थाने में मामले की सूचना दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची जहां चुनाव अधिकारियों ने शिकायत पुलिस को दी थी। चुनाव अधिकारी अय्यूब खान, मुबस्सर हुसैन, भागमल, अनिल कुमार एवं दिनेश कुमार की शिकायत पर रोजकामेव थाने में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।

उक्त मामले पर शुक्रवार को सुनवाई अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रशांत राणा की अदालत ने परवीन, मोंटी, जग्गी उर्फ जगदीश, गुलशन, बिल्लू, सतीश, दीपक, सचिन, दीपक और आनंद को दोषी करार देते हुए विभिन्न धाराओं के अंतर्गत सजा सुनाई। जिसमें प्रत्येक दोषी को अधिकतम सजा 10 साल की कठोर कैद और जुर्माना लगाया गया।

अर्थदंड का भुगतान नहीं करने पर दोषियों को एक वर्ष की अवधि के लिए अतिरिक्त कठोर कारावास भी शामिल है। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के मद्देनजर, यदि कोई भी व्यक्ति चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता का उल्लंघन करेगा, लोकतंत्र की मूल संरचना और नागरिकों के पवित्र संवैधानिक अधिकारों पर हमला करेगा तो इस तरह का अपराध करने वाले अपराधी न्यायालय की नरमी के पात्र नहीं हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमले के ऐसे मामलों में अनुकरणीय दंड का प्रविधान है, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह के अपराध को न दोहराए।


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