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खुशियों का त्योहार दीपावली आज

दीपावली हिदुओं के सबसे प्रमुख और बड़े त्योहारों में से एक है। यह खुशहाली समृद्धि शांति और सकारात्मक ऊर्जा का द्योतक है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 06:36 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 06:36 PM (IST)
खुशियों का त्योहार दीपावली आज
खुशियों का त्योहार दीपावली आज

जागरण संवाददाता, नारनौल:

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दीपावली हिदुओं के सबसे प्रमुख और बड़े त्योहारों में से एक है। यह खुशहाली, समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का द्योतक है। रोशनी का यह त्योहार बताता है कि चाहे कुछ भी हो जाए असत्य पर सत्य की जीत अवश्य होती है। मान्यता है कि रावण की लंका का दहन कर 14 वर्ष का वनवास काटकर भगवान राम अपने घर लौटे थे। इसी खुशी में पूरी प्रजा ने नगर में अपने राम का स्वागत घी के दीप जलाकर किया। राम के भक्तों ने पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से भर दिया था। दीवाली के दिन को मां लक्ष्मी के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि दीवाली की रात को ही मां लक्ष्मी की भगवान विष्णु से शादी हुई थी। इस दिन श्री गणेश, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि विधि-विधान से पूजा करने पर दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि तथा बुद्धि का आगमन होता है।

हिदू पंचांग के अनुसार दीवाली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। दीवाली हर साल अक्टूबर या नवंबर महीने में आती है। इस बार दीवाली 14 नवंबर को है।

दीवाली की तिथि और शुभ मुहूर्त

दीवाली या लक्ष्मी पूजन की तिथि: 14 नवंबर

अमावस्या तिथि प्रारंभ: 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से

अमावस्या तिथि समाप्त: 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक

लक्ष्मी पूजा मुहुर्त: 14 नवंबर को शाम 05 बजकर 28 मिनट से शाम 07 बजकर 24 मिनट तक

कुल अवधि: 01 घंटे 56 मिनट

इस वर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या 14 नवंबर को प्रदोषकाल में अमावस्या होने से इसी दिन दीपावली मनाई जाएगी। लक्ष्मीपूजन प्रदोष युक्त अमावस्या को स्थिरलग्न व स्थिर नवांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ होता है। इस वर्ष लक्ष्मीपूजन का समय इस प्रकार रहेगा। अमावस्या दोपहर दो बजकर 18 मिनट के पश्चात आएगी।

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दिवाकाल के श्रेष्ठ समय:- चौघड़िया के अनुसार

शुभ :- 08:17 से 09:38 तक

चंचल :- 12:20 से 13:41 तक

लाभ :- 13:41 से 15:02 तक

अमृत :- 15:02 से 16:23 तक

अभिजित मुहू‌र्त्त दोपहर 11:54 से 12:42 तक रहेगा

सर्वश्रेष्ठ समय :- प्रदोष काल :- शाम 17:33 से रात्रि 20:12 तक* एवं *शाम 17:49 से शाम 18:02 तक, जिसमें प्रदोषकाल-स्थिर (वृषलग्न)-कुंभ का नवमांश रहेगा। बाक्स-------

रात्रि के श्रेष्ठ चौघड़िये :-

लाभ :- 17:40 से 19:19 तक

शुभ :- 20:58 से 22:37 तक

अमृत :- 22:37 से 00:16 तक

चंचल :- 00:16 से 01:55 तक

लाभ :- 05:13 से 06:56 तक

रात्रि के श्रेष्ठ लग्न :- वृषलग्न शाम 05:40 से शाम 07:37 तक रहेगा।

सिंहलग्न मध्यरात्रि 12:10 से अंतरात्रि 02:26 तक है।

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दीवाली पूजन की सामग्री

बजरंग शास्त्री के अनुसार लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अ‌र्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव, तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ.

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लक्ष्मी पूजन की विधि

धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदकर दीपावली की रात उसका पूजन किया जाता है।

दीवाली के दिन इस तरह करें महालक्ष्मी की पूजा:

मूर्ति स्थापना: सबसे पहले एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें।

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।

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धरती मां को प्रणाम के बाद अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए दिए गए मंत्र का उच्चारण करें।

पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।

ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम नम:।।

पृथ्वियै नम: आधारशक्तये नम: । आचमन: अब इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए गंगाजल से आचमन करें.

ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम: ध्यान: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का ध्यान करें।

या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,

गंभीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।

या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितै: स्वापिता हेम-कुम्भै:,

सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता ।।

आवाह्न: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का आवाह्न करें.

आगच्छ देव-देवेशि! तेजोमय िमहा-लक्ष्मी !

क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वंदिते !

।। श्रीलक्ष्मी देवीं आवाह्यामि ।।


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