खुद का बचाव जरूरी इसलिए नहीं हटाते मास्क
मास्क पहनना और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना सरकारी विभागों में अधिकारियों के साथ आमजन ने भी अपना लिया है।
ज्ञान प्रसाद, नारनौल
मास्क पहनना और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना सरकारी विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी उतना जरूरी है जितना आम आदमी के लिए है। सरकारी कर्मचारियों को और ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है। इन्हीं बिदुओं को ध्यान में रखकर सरकारी कार्यालयों में पड़ताल करने का प्रयास किया तो पाया कि हर किसी को कोरोना का डर सता रहा है। इसलिए वे दिनभर मास्क पहनने के साथ हाथों को सैनिटाइज करने के प्रति संवेदनशील नजर आ रहे हैं।
सुबह के 10 बजकर 40 मिनट दैनिक जागरण टीम जिला सचिवालय में पहुंची। यह जानने का प्रयास किया कि क्या मास्क लगाना या सैनिटाइजर का इस्तेमाल सिर्फ आम नागरिक के लिए अनिवार्य है या फिर सरकारी कार्यालयों में भी गंभीरता दिखाई जा रही है। सोमवार को सप्ताह का पहला दिन होने के कारण छिटपुट लोग पहुंचे हुए थे। सचिवालय के मुख्य द्वार पर पुलिस और होमगार्ड के जवान प्रत्येक आने जाने वालों पर निगरानी करने के साथ मास्क पहनने की हिदायत दे रहे थे। मुख्यद्वार पर आटोमेटिक सैनिटाइजर मशीन लगाया हुआ है। हर आने जाने वालों को पहले हाथ सैनिटाइज करने को कहा जाता है। हेलमेट, पॉलिथीन के थैले बाहर ही रखने को कहा जा रहा था। इतना ही नहीं किससे मिलना है क्या काम है आदि पूछताछ के बाद ही प्रवेश करने दिया जा रहा था। कांस्टेबल भूपेश कुमार हर आने जाने वालों को मास्क पहनने और हाथ सैनिटाइज करने की सलाह दे रहे थे। अधिकांश लोग मास्क या गमछे से मुंह ढककर ही आ रहे थे। करीब 15 मिनट के बाद सचिवालय परिसर में प्रवेश करते हैं। यहां तहसील कार्यालय में गए। जहां कर्मचारी इधर से उधर मास्क पहनकर ही आवागमन कर रहे थे। हर कोई अपने आपको सुरक्षित रखने के प्रति संवेदनशील दिखा। पब्लिक डिलिग पहले की तरह नहीं के बराबर थी।
एसपी कार्यालय में हर कोई मास्क पहने हुए था:
इसके बाद हम एसपी कार्यालय की ओर बढ़े। पुलिस अधीक्षक कार्यालय के मुख्यद्वार पर रस्सी लगाकर प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया हुआ था। हम अंदर गए तो वहां करीब आधा दर्जन कर्मचारी मास्क पहने हुए कोई कंप्यूटर पर तो कोई रजिस्टर में लिखित कार्य कर रहे थे। मास्क पहनने का प्रयोजन पूछा तो विकास, प्रमोद, जयसिंह, अनिल सिंह, दीपक,सुशीला आदि ने एक सुर में कहा कि हमें अपनी सुरक्षा की चिता है। जब मास्क पहनेंगे, बार बार हाथों को सैनिटाइज करेंगे, दो गज की दूरी बनाए रखेंगे तभी कुछ हद तक कोरोना संक्रमण से बचाव हो सकेगा। इक्का दुक्का लोग आ रहे थे तो पहले मास्क पहनकर और हाथों को सैनिटाइज कराने के बाद आने को कहा जा रहा था।
यहां से हम समाज कल्याण कार्यालय में पहुंचे। करीब पौने बारह बजे होंगे। विभिन्न प्रकार की पेंशन बनवाने के लिए अपनी फाइल जमा कराने के लिए 8-10 लोग कमरा नंबर 313 के बाहर खड़े थे। अंदर कुछ कर्मचारी काम कर रहे थे तो इन फरियादियों के प्रवेश पर प्रतिबंध था। शारीरिक दूरी को ध्यान में रखते हुए कतार में खड़े रहने को कहा जा रहा था तो अधिकांश लोग मास्क पहने हुए नजर आए। आगे क्या हालात हैं यह जानने के लिए हम नगराधीश कार्यालय पर पहुंचे। वहां बाहर तीन चार लोग आपस में बातें कर रहे थे जिनमें से कुछ लोगों ने मास्क पहनना उचित नहीं समझा था। वे शायद नगराधीश का इंतजार कर रहे थे। कार्यालय में पहुंचने पर हमने देखा कि कर्मचारी अलग अलग कोनों में दूर दूर बैठे हुए हैं। सभी ने मास्क लगाया हुआ था। एक बाबू से हमने पूछा तो बोल उठे यहां दिन में कितने ही लोग आते हैं। किसको पता किसमें कोरोना संक्रमण के लक्षण हों। कोरोना का डर हमें भी है। इसलिए पूरा दिन मास्क हटाते ही नहीं।
उपायुक्त कार्यालय के बाहर ऑटोमेटिक मशीन थी:
इसके बाद हम एसडीएम कार्यालय में पहुंचे। वहां अलग अलग कमरों में दो तीन कर्मचारी दूरी बनाए हुए मास्क पहने बैठे थे। हमें लगा उपायुक्त कार्यालय में लोगों की भीड़ होगी। इसलिए बिना समय गंवाए हम आगे बढ़े। सचिवालय परिसर में आम लोगों की ज्यादा भीड़ नहीं थी। उपायुक्त भी कार्यालय में नहीं थे। उनके कार्यालय के बाहर ऑटोमेटिक सैनिटाइजर मशीन लगी हुई है। जो भी अंदर जाएगा वह पहले अपने हाथ सैनिटाइज कराकर ही प्रवेश कर सकेगा। यहां के कर्मचारी मास्क लगाकर ही अपना काम निपटा रहे थे। वहां मौजूद कर्मचारी ने बताया कि अब तो मास्क उनकी जिदगी का हिस्सा बन गया है। सुबह घर से निकलते हैं तो मोबाइल भूल जाएंगे लेकिन मास्क पहनना और सैनिटाइजर जेब में रखना नहीं भूलते।
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यहां भी नजर आई संवेदनशीलता:
इसी प्रकार की स्थिति नगर परिषद कार्यालय, बाल भवन, बिजली निगम कार्यालय सहित कई अन्य कार्यालयों में अधिकारियों व कर्मचारियों को मास्क पहने हुए नजर आए। सिर्फ कर्मचारी ही नहीं दफ्तरों में आने वाले लोग भी अब मास्क का महत्व समझने लगे हैं।