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आइपीएस सुलोचना व राज्यमंत्री विवाद मामले की जांच स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंपी

नारनौल सिटी पुलिस ने आइपीएस अधिकारी सुलोचना गजराज व राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव मामले की जांच स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंप दी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 05:25 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 05:25 PM (IST)
आइपीएस सुलोचना व राज्यमंत्री विवाद मामले की जांच स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंपी
आइपीएस सुलोचना व राज्यमंत्री विवाद मामले की जांच स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंपी

जागरण संवाददाता, नारनौल: नारनौल सिटी पुलिस ने आइपीएस अधिकारी सुलोचना गजराज व राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव मामले की जांच स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंप दी है। इस मामले में स्टेट क्राइम गुरुग्राम के डीएसपी ने जांच में शामिल होने के लिए इलेक्ट्रानिक व यूट्यूब चैनल के दो पत्रकारों को नोटिस भेज दिए हैं। दोनों पत्रकारों को एक दिसंबर को गुरुग्राम कार्यालय में जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया है।

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गौरतलब है कि अगस्त माह में नारनौल में 50-50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने व फायरिग की दो घटनाएं घटित हुई थीं। उस समय महेंद्रगढ़ जिला पुलिस कप्तान का कार्यभार आइपीएस अधिकारी सुलोचना गजराज के पास था। इन घटनाओं को लेकर शहर में रोष व्याप्त था। इस बीच एक इलेक्ट्रानिक चैनल के पत्रकार व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव की एक कथित आडियो वायरल हुई थी। इस आडियो में मंत्री ने एसपी पर खूब गुस्सा उतारा था और नाराजगी जताई थी। इस घटनाक्रम के चलते तत्कालीन एसपी का स्थानांतरण हो गया था। हालांकि उन्होंने इस बीच आडियो को लेकर शहर पुलिस थाने में आइटी एक्ट के तहत एक एफआइआर दर्ज करवा दी थी। शहर थाना पुलिस ने यह मामला एक आइपीएस अधिकारी से जुड़ा होने के कारण स्टेट क्राइम ब्यूरो को रेफर कर दिया था। लेकिन अभी तक यह मामला शांत था। अब डीएसपी स्टेट क्राइम द्वारा दो पत्रकारों को नोटिस भेजने की घटना के बाद इस विवाद का जिन्न एक बार फिर से बोतल से बाहर आ गया है। उधर राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव पहले ही साफ कर चुके हैं कि जिन धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज करवाई गई थी, वे धाराएं तो पहले ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बैन की हुई हैं। ऐसे में आइपीएस अधिकारी द्वारा दर्ज करवाई गई एफआइआर निराधार है और उसका कोई औचित्य बनता ही नहीं है। इस बारे में पुलिस कप्तान चंद्रमोहन ने कहा कि मामले की जांच स्टेट क्राइम कर रहा है। इसलिए इस बारे में अब स्टेट क्राइम के अधिकारी ही बता सकते हैं। नारनौल पुलिस से इस मामले का कोई लेना देना नहीं है।


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