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चौकियों में महफूज नहीं पुलिस, बाहर कटती है रात

दिन-रात आमजन को सुरक्षा प्रदान करने वाले पुलिस कर्मचारियों की ही चौकियों में जान महफूज नहीं है। चौकियों की हालत जर्जर होने के कारण पुलिस कर्मचारियों को खुले आसमान के नीचे बैठकर जांच करनी पड़ती है। वहीं रात को भी चौकी के बाहर खुले आसमान में सोने को मजबूर है। सबसे बुरा हालत तो महेंद्रगढ़, दौगड़ा व नारनौल अस्पताल चौकी की है। इन तीनों चौकियों का लेंटर्न का प्लास्टर आए दिन गिरता रहता है। अस्पताल चौकी की बात की जाए तो यहां तो कई बार जांच अधिकारी तक बाल-बाल बच चुके है। लेकिन पुलिस विभाग की ओर से चौकियों की मरम्मत करने के लिए कोई खास कार्य नहीं किए गए है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 06:50 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 06:50 PM (IST)
चौकियों में महफूज नहीं पुलिस, बाहर कटती है रात
चौकियों में महफूज नहीं पुलिस, बाहर कटती है रात

जागरण संवाददाता, नारनौल :

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दिन-रात आमजन को सुरक्षा प्रदान करने वाले पुलिस कर्मचारी खुद जिले की पुलिस चौकियों में महफूज नहीं हैं। चौकियों की हालत जर्जर होने के कारण पुलिस कर्मचारियों को दिन में खुले आसमान के नीचे बैठकर जांच करनी पड़ती है वहीं रात को भी चौकी के बाहर खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ती है। यह हालात काफी दिनों से है। बीच-बीच में चौकियों के भवन से गिरने वाला चूना व लैंटर्न खतरे के साफ संकेत देता रहता है। बावजूद इसके चौकियों के लिए न दूसरी जगह तलाश की जा रही है और न इनके भवनों की दशा सुधारने के लिए कोई बजट मंजूर किया गया है।

जिला में नांगल चौधरी, सदर थाना नारनौल, शहर थाना नारनौल, सतनाली, मंडी अटेली, कनीना, महेंद्रगढ़ थाना व महिला थाना सहित आठ थाने हैं। आठ थानों के नीचे 10 चौकियां हैं। निजामपुर चौकी, फैजाबाद चौकी, गहली चौकी, माधोगढ़ चौकी, कांटी चौकी, कनीना व दौगड़ा चौकी, नारनौल ओल्ड चौकी व अस्पताल चौकी इसमें शामिल हैं। निजामपुर चौकी व कनीना चौकी को छोड़ दिया जाए तो आठ की आठ चौकियों की हालत काफी बदतर है। सबसे बुरा हालत तो महेंद्रगढ़, दौगड़ा व नारनौल अस्पताल चौकी का है। इन तीनों चौकियों का लेंटर्न का प्लास्टर आए दिन गिरता रहता है। अस्पताल चौकी में तो कई बार जांच अधिकारी तक बाल-बाल बच चुके हैं। फैजाबाद चौकी के हालत तो इस कदर खराब है कि जब भी कोई वाहन पास से तेज गति से गुजरता है तो दीवार से ईंट सड़क या चौकी की तरफ गिर जाती है। हल्की बारिश में ही पानी छतों से लगातार टपकने लगता है। कई बार चौकी में रखी पुलिस की अदालतों की महत्वपूर्ण फाइलें तक भीग चुकी हैं।

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बारिश से ज्यादा रहता है चौकी गिरने का डर:

फैजाबाद, ओल्ड चौकी, महेंद्रगढ़ चौकी व नारनौल अस्पताल चौकी का तो लैंटर्न कई बार गिर चुका है। ऐसे में चौकी में तैनात पुलिस कर्मचारी चौकी में नौकरी तो अवश्य करते हैं लेकिन भय के साथ कभी चौकी का हिस्सा गिर नहीं जाए। वहीं अस्पताल चौकी की बात की जाए तो बारिश के दिनों में तो चौकी में कर्मचारी रुकते ही नहीं वे सामने एंबुलेंस कंट्रोल रूम में खड़े होकर बारिश रुकने का इंतजार करते रहते हैं।

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बार-बार हो चुकी हैं शिकायत नहीं मिल रहा बजट

ऐसा नहीं है कि अधिकारी चौकियों की हालत को लेकर गंभीर नहीं है। इस मामले में अधिकारी हाउ¨सग कॉपोरेशन अधिकारियों को बार-बार पत्र लिख चुके हैं लेकिन हाउ¨सग कॉरपोरेशन के अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है। ऐसे में कर्मचारी अपने हाल पर नौकरी करने को मजबूर हैं। हालात यह है कि जब भी लैंटर्न का हिस्सा या चूना गिरता है हरकत शुरू हो जाती है और कुछ दिन बाद पूरी कागजी कार्यवाही ठंडे बस्ते में चली जाती है।

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वर्जन

इस मामले को लेकर उच्चाधिकारियों को फोन पर जानकारी दे दी है। पत्राचार कर जल्द ही समस्या का समाधान करवाया जाएगा जिससे कि कर्मचारियों को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।

--कमलदीप गोयल, एसपी, महेंद्रगढ़।


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