सेवा के साथ गायों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है गोशाला
श्रीकृष्ण गोशाला कनीना में गो सेवा के साथ बेसहारा गायों का संरक्षण स्थल बना हुआ है।
संवाद सहयोगी, कनीना:
श्रीकृष्ण गोशाला कनीना में गो सेवा के साथ बेसहारा गायों का संरक्षण स्थल भी बना हुआ है। वर्तमान में 1600 गोवंश दान एवं अनुदान पर चल रही है। इस गोशाला की पहचान जिला के अग्रणी गोशालाओं में होती है। वर्ष 2003 में स्थापित इस गोशाला में गायों की सेवा के लिए 24 घंटे स्वास्थ्य विशेषज्ञ मौजूद हैं। गायों के स्वास्थ्य जांच के लिए एक वीएलडीए सेवारत हैं। यहां पर गायों का दूध एवं उनका खाद बेचकर आय प्राप्त होती है उसे गायों पर खर्च किया जाता है। दूध की बिक्री से करीब 80 हजार रुपये प्रतिमाह आमदनी होती है। गायों के गोबर से बने खाद से 7 लाख रुपये सालाना आय होती है। गोशाला में वर्तमान में चार ट्यूबवेल से पानी की व्यवस्था की गई है। गोशाला के 30 एकड़ में हरा चारा उगाया जाता है जिसे गायों के लिए प्रतिदिन काटकर डाला जाता है। इस कार्य के लिए 13 श्रमिक कार्यरत हैं। गोभक्त भगत सिंह कहते हैं कि गोशाला में दूध की बिक्री से करीब 80 हजार रुपये प्रतिमाह की आय होती है। दानदाताओं द्वारा प्राप्त राशि से गोशाला चल रही है। उन्होंने बताया कि प्रति वर्ष करीब एक करोड़ की आय हो जाती है जो गायों पर खर्च होता है।
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गोशाला के लिए प्रतिदिन गाड़ियां गो ग्रास एकत्रित करके विभिन्न गांव से लाती हैं। प्रतिदिन 30 मन आटा एवं रोटी एकत्रित हो जाती हैं। वर्तमान में छह माह का चारा स्टॉक किया हुआ है। यहां दूध देने वाली 22 गाएं हैं। गायों के घूमने फिरने के लिए भी अलग से आठ एकड़ में टीन शेड बनाई गई है। गायों को सर्दी एवं गर्मी से बचाने की व्यवस्था भी की हुई है।
-- हुकमचंद, प्रधान, गोशाला।