दो साल से छात्रों को स्टेशनरी का नहीं मिला पैसा, कैसे हो पढ़ाई
सरकारी स्कूलों का क्रेज बढ़ाने के लिए सरकार तमाम योजनाएं लागू कर रही है।
संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी : सरकारी स्कूलों का क्रेज बढ़ाने के लिए सरकार तमाम योजनाएं लागू कर रही है। अध्यापक बच्चों को पढ़ाने में लापरवाही न बरतें इसके लिए मंथली टेस्ट की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। कोरोना महामारी के चलते मिडिल स्तर तक के स्कूल बंद होने पर छात्रों को आनलाइन शिक्षा प्रदान करने के निर्देश हैं। लेकिन इस योजना का लाभ प्रयास के बावजूद भी सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि छात्रों को गत दो साल से स्टेशनरी का पैसा ही नहीं मिला है। चालू शिक्षा सत्र को भी आठ महीने बीतने को है। लेकिन अब तक सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत प्राइमरी व मिडिल स्तर के बच्चों को स्कूली बैग सहित पेन-पेसिल व कापी का पैसा भी नसीब नहीं हुआ है। इससे अधिकतर छात्र स्टेशनरी के अभाव से जूझ रहे हैं। स्टेशनरी के अभाव में आनलाइन शिक्षा के बाद छात्र अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं। जिससे सरकार की कोविड-19 के चलते आनलाइन शिक्षा में भी छात्रों की रुचि दिखाई नही दे रही है।
परेशानी से जूझ रहे छात्र
शिक्षा का शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के लिए हर वर्ष राज्य सरकार द्वारा प्राइमरी स्कूल से लेकर मिडिल स्तर के सभी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान किया हुआ है। आरटीई के तहत प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा प्राथमिक व मिडिल स्तर के छात्र-छात्राओं को स्टेशनरी का पैसा व स्कूल बैग और वर्दी मुहैया करवाई जाती है। इसके तहत प्राथमिक स्कूल में अध्ययनरत कक्षा एक से पांच तक प्रति छात्र 120 रुपये स्कूल बैग व 100 रुपये स्टेशनरी के दिए जाते हैं। वहीं मिडिल स्तर कक्षा छह से आठ तक के छात्रों को यह राशि स्कूली बैग व स्टेशनरी की मिलाकर 300 रुपये दी जाती है। इस पैसे से बच्चे कापी, पेन, पेंसिल, रबड़ व शार्पनर जैसा स्टेशनरी का सामान व बैग खरीद लेते थे।
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पढ़ाई से हो रहे विमुख
खण्ड में 103 प्राइमरी व 28 मिडिल स्कूल हैं। लंबे इंतजार के बाद भी स्कूल बैग व स्टेशनरी नहीं मिलने से कई बच्चों का मन भी पढ़ाई से विमुख होने लगा है। कोविड-19 के चलते सरकार के निर्देशानुसार 9 से 12 तक के स्कूल तीन घंटे खुल रहे हैं। लेकिन प्राइमरी व मिडिल स्कूल अभी भी स्कूल बंद है। मिडिल स्तर तक अभी आनलाइन शिक्षा का ही प्रावधान है। लेकिन नोटबुक व स्टेशनरी का अभाव होने पर अधिकतर बच्चे आनलाइन शिक्षा में भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। ये है नियम
प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक तबके के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए अनेक सरकारी सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है। सरकार द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले आठवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क शिक्षा, मुफ्त वर्दी, स्टेशनरी, स्कूल बैग, अनुसूचित एवं बीपीएल परिवार के बच्चों को प्रोत्साहन राशि, मध्याह्न भोजन की व्यवस्था, अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं को भी प्रोत्साहन राशि की सुविधा, सभी विद्यालयों में डीटीएच के माध्यम से विशेषज्ञों द्वारा शिक्षा तथा सीडब्ल्यूएसएन छात्र-छात्राओं के लिए नि:शुल्क शारीरिक चेकअप की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है। जिन पर सरकार का प्रति वर्ष करोड़ों रुपये खर्च हो रहा है।
वर्जन-----
स्कूली बच्चों को मिलने वाले स्टेशनरी के पैसे के लिए वे विभागीय स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। शुरुआत में कोविड-19 के चलते थोड़ी अव्यवस्था हो गई थी। जल्द ही सभी बच्चों को यह राशि उपलब्ध करवा दी जाएगी।
सुरज्ञानी, अधीक्षक,
खण्ड शिक्षा कार्यालय नांगल चौधरी।