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क्षेत्रों की राजनीतिक और भौगोलिक स्वरूप को जानना समझना होगा

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंविवि) महेंद्रगढ़ में लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र हरियाणा प्रांत इकाई के सहयोग से मानवाधिकार दिवस के अवसर पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने इस अवसर पर अपने संबोधन में पाकिस्तान व चीन अधिकृत कश्मीर में रहने वालों के मानवाधिकारों के हनन का उल्लेख करते हुए इस दिशा में भारत सरकार द्वारा जारी विभिन्न कूटनीतिक प्रयासों की सराहना की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 05:25 PM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 05:25 PM (IST)
क्षेत्रों की राजनीतिक और भौगोलिक स्वरूप को जानना समझना होगा
क्षेत्रों की राजनीतिक और भौगोलिक स्वरूप को जानना समझना होगा

संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़: हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंविवि), महेंद्रगढ़ में लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र हरियाणा प्रांत इकाई के सहयोग से मानवाधिकार दिवस के अवसर पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने इस अवसर पर अपने संबोधन में पाकिस्तान व चीन अधिकृत कश्मीर में रहने वालों के मानवाधिकारों के हनन का उल्लेख करते हुए इस दिशा में भारत सरकार द्वारा जारी विभिन्न कूटनीतिक प्रयासों की सराहना की।

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प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि यह विषय बेहद गंभीर है और इसके लिए जमीनी स्तर पर परिस्थितियों में सुधार के साथ-साथ वैचारिक व नीतिगत मोर्चे पर भी प्रयास करने होंगे, जिसमें विश्वविद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। विश्वविद्यालय में आयोजित इस विशेष व्याख्यान में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में स्पेशल सेंटर फार नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की डा. आयुषी केतकर उपस्थित रहीं। विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र हरियाणा प्रांत इकाई के सहयोग से आयोजित इस व्याख्यान की शुरूआत में विभागाध्यक्ष प्रो. राजवीर दलाल ने स्वागत भाषण दिया। कुलपति ने अपने संबोधन में इस आयोजन की उपयोगिता बताई और इस दिशा में विद्यार्थियों, शोधार्थियों व शिक्षकों के योगदान पर भी चर्चा की।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान व चीन के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र में मानवाधिकारों का हनन किसी से छुपा नहीं है। वहां के लोग लगातार अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और इस दिशा में कूटनीतिक स्तर पर भारत सरकार द्वारा जारी प्रयासों के अतिरिक्त वैचारिक स्तर पर भी विशेष प्रयास हो रहे हैं। इन प्रयासों में लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। कुलपति ने इस महत्वपूर्ण कार्य में विद्यार्थियों, शोधार्थियों व शिक्षकों के योगदान के लिए भी उनका आह्वान किया। विशेषज्ञ वक्ता डा. आयुषी केतकर ने भारत के पाकिस्तान व चीन द्वारा कब्जाए गए जम्मू कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि किस तरह से चीन पाकिस्तान की मदद से इस क्षेत्र में अपना आधिपत्य स्थापित करने में जुटा है। उन्होंने चीन और पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में मानवाधिकारों के हनन पर प्रकाश डाला। उन्होंने वहां के लोगों के साथ हो रहे व्यवहार और उससे उपजे हालातों की जानकारी दी। भारत इस दिशा में लगातार कूटनीतिक स्तर पर काम कर रहा है। बीते कुछ सालों में इसके सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं। पाकिस्तान व चीन के अत्याचारों का आलम यह है कि लोगों को रातों रात गायब कर दिया जाता है जो कि चिताजनक है। जरूरी है कि हम उन क्षेत्रों में हो रहे अत्याचार के विषय में जानें। इसके लिए इन क्षेत्रों की राजनीतिक और भौगोलिक स्वरूप को जानना समझना होगा। आजादी के अमृत महोत्सव की नोडल आफिसर व कुलसचिव प्रो. सारिका शर्मा ने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न स्तर पर जारी प्रयासों का उल्लेख किया और आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के तहत विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य व कार्यक्रम समन्वयक डा. राजीव कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर विश्वविद्यालय की विभिन्न पीठों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक व शोधार्थी उपस्थित रहे।


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