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मल्चिंग एवं टपका सिचाई से पानी बचा रही हैं मीना देवी

कनीना उपमंडल के गांव भड़फ की मीना देवी मल्चिग एवं टपका सिचाई विधि से फसल एवं सब्जियां उगा कर न केवल लोगों को एक संदेश दे रही हैं अपितु पानी बचत में अहम भूमिका निभा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 05:58 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 05:58 PM (IST)
मल्चिंग एवं टपका सिचाई से पानी बचा रही हैं मीना देवी
मल्चिंग एवं टपका सिचाई से पानी बचा रही हैं मीना देवी

संवाद सहयोगी, कनीना: कनीना उपमंडल के गांव भड़फ की मीना देवी मल्चिग एवं टपका सिचाई विधि से फसल एवं सब्जियां उगा कर न केवल लोगों को एक संदेश दे रही हैं, अपितु पानी बचत में अहम भूमिका निभा रही हैं। मीना कुमारी ने अपने लड़के रवि कुमार से सहयोग लेकर एक एकड़ में टमाटर, एक एकड़ में तरबूज, आधा एकड़ खरबूजा, आधा एकड़ में मिर्च बैंगन, ककड़ी भी उगा रखी है। साथ में एक एकड़ में बेर का बाग लगा रखा है। मीना देवी फल सब्जियों में ड्रिप सिचाई करती है। यद्यपि ड्रिप सिचाई में एक बार खर्चा आता है, कितु पानी की बहुत अधिक बचत होती है। उन्होंने सभी सब्जियां मल्चिंग विधि से उगा रखी है।

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क्या है मल्चिंग विधि- इस विधि में प्लास्टिक के बारीक पाइपों को रेत के बेड में दबा दिया जाता है तथा पौधे मल्चिंग में उगाए जाते हैं। उन पर पालीथिन लगी होती है। पानी बूंद-बूंद होकर गिरता रहता है तथा ज्यों ज्यों पानी वाष्प बनकर उड़ता है, वह पालीथिन से टकराकर वापस बेड में गिर जाता है। इससे बहुत अधिक पानी की बचत हो रही है। विगत 2 वर्षों से उन्होंने यही विधि अपना रखी है और दर्जनों किसान उनके पद चिन्हों पर चल रहे हैं। आज नई तकनीक का प्रयोग कर रही है और सब्जियों में अच्छा खासा मुनाफा कमा रही है। मीना देवी बताती है कि उन्होंने बिना खाद तथा रासायनिक के फल सब्जियां तैयार की है जिसके चलते उनकी फल सब्जियों की मांग अधिक है। वैसे भी मीना देवी ने अपनी भड़फ के पास सड़क पर ही दुकान लगा रखी है, जिस पर उनके पति हरीश कुमार सब्जियां बेचते हैं।मीना कुमारी ने बताया कि जब फव्वारा और खुला पानी खेतों में दिया जाता है तो पानी बहुत अधिक मात्रा में लगता है, घंटों परेशानी उठानी पड़ती है और अधिकांश पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है। गर्मी के दिनों में तो यह आम बात है, कितु मल्चिंग में वाष्प बनकर पानी नहीं उड़ सकता। वैसे भी बूंद-बूंद करके पौधों की जड़ों में सीधे पानी पहुंचता है। इसलिए पानी बेकार नहीं जाता। उन्होंने बताया 2 घंटे में 1 एकड़ जमीन में इतना पानी हो जाता है, जो सब्जी के लिए पर्याप्त होता है जबकि खुले में 2 घंटे में पानी दिया जाए तो मामूली से क्षेत्रफल पर पानी दिया जा सकेगा और वह भी वाष्प बनकर उड़ जाएगा। उन्होंने घर पर भी वर्षा जल संरक्षण किया हुआ है तथा पानी बचाने में अहम योगदान देती आ रही है।


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