आए थे रोटी रोजी कमाने, मिल रही यातनाएं
वर्षों से दूसरे प्रांतों के लोग यहां कामकाज करने के लिए आते हैं और कुछ धन कमाकर परिवार सहित खुशी-खुशी लौट जाते हैं परंतु इस बार कोरोना के चलते मजदूरों को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा है।
संवाद सहयोगी, कनीना : वर्षों से दूसरे प्रांतों के लोग यहां कामकाज करने के लिए आते हैं और कुछ धन कमाकर परिवार सहित खुशी-खुशी लौट जाते हैं, परंतु इस बार कोरोना के चलते मजदूरों को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा है। यहां तक की अधिकांश मजदूर बिना कुछ धन कमाए ही वापस लौटने को मजबूर हैं। एक ओर जहां कोरोना के चलते काम नहीं मिला। वहीं दूसरे प्रांत के लोग ग्रामीणों के यहां ट्यूबवेल या गांव में रुके हुये थे। वे जल्द से जल्द उनसे पीछा छुड़ाना चाहते हैं। कहने को तो उनको सुविधाएं दी गई, लेकिन हकीकत उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं हुआ है। खाने को भी समय पर रोटी नहीं मिली। जैसे-तैसे उनको शेल्टर होम में भेज दिया गया है। जिस भी खेत मालिक के यहां 10 से 15 मजदूर काम करते थे इनको खाना खिलाना भी उनके लिए भारी पड़ गया था। यही कारण है कि मजदूरों को भारी कठिनाई झेलनी पड़ी। यहां तक की शेल्टर होम में भी उनको परेशानियां आई। यहां एक तरफ घर की चिता, वहीं दूसरी ओर शेल्टर होम में रोग फैलने का भय उन्हें दिन रात सताता रहा। प्रशासन द्वारा लंबे समय बाद उन्हें उनके प्रदेश भेजा जा रहा है। जिसके चलते इन्हें बहुत अधिक परेशानी हुई। उनके चलते जाने से अब क्षेत्र में कार्य के लिए मजदूर नहीं मिलेंगे।