रघुनाथपुरा में बाल विवाह निषेध पर जागरूकता शिविर हुआ आयोजित
जागरण संवाददाता नारनौल जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन रज
जागरण संवाददाता, नारनौल: जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन रजनीश बंसल के दिशा-निर्देशानुसार व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अंजलि जैन के मार्गदर्शन में 24 जनवरी तक चलाए जाने वाले बाल विवाह निषेध कानूनी जागरूकता शिविर का मंगलवार को गांव रघुनाथपुरा में पैनल अधिवक्ता गिरिबाला यादव व बाल विवाह निषेध अधिकारी सरिता शर्मा ने शुभारंभ किया। इस मौके पर पैनल अधिवक्ता गिरिबाला यादव व बाल विवाह निषेध अधिकारी सरिता शर्मा ने बताया कि चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 के मुताबिक 18 साल से पहले किसी लड़की या 21 साल से पहले किसी लड़के की शादी की जाती है, तो वह कानूनन अपराध होगा और उसे बाल विवाह माना जाएगा। उन्होंने बताया कि भारत में बाल विवाह सदियों से प्रचलित है और यह किसी धर्म विशेष से नहीं होकर सभी धर्म समुदायों और वर्गों में लंबे समय से चल रही प्रथा है। वर्तमान समय में यह प्रथा ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती है। बाल विवाह के पीछे के कारणों में मुख्यत: गरीबी और शिक्षा जैसे कारण हैं। उन्होंने शिविर में उपस्थित ग्रामीणों से आह्वान किया कि बाल विवाह ना करें। उन्होंने कहा कि बाल विवाह होने के कारण ना तो पति पत्नी कमाने में सक्षम होते हैं और ना ही उनका शारीरिक विकास होता है। बाद में इसका खामियाजा महिलाओं व उनकी संतानों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने बताया कि धारा 13 के तहत जिसका बाल विवाह हो रहा है, उसे रुकवाने के लिए कोई भी व्यक्ति बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी अथवा गैर सरकारी संगठन न्यायालय में आवेदन कर विवाह रुकवाने के आदेश प्राप्त कर सकते हैं। बाल विवाह निषेध अधिकारी द्वारा बाल विवाह के मामले की निगरानी रखी जाती है। इनको बाल विवाह रोकने, उल्लंघन की रिपोर्ट बनाने तथा बच्चों को खतरनाक और संभावित खतरनाक स्थितियों से निकालने का अधिकार दिया गया है। इस अवसर पर कानूनी स्वयंसेवक प्रदीप कुमार, पंडित कैलाश प्रसाद दीक्षित, पंडित राजेश कुमार शर्मा और मुकेश कुमार आदि उपस्थित थे।