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जब तक सूरज चांद रहेगा, रामपाल तुम्हारा नाम रहेगा..

गांव चितलांग रामपाल सिंह तंवर बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में शहीद हो गए। शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार को महेंद्रगढ़ लाया गया। जहां लोगों ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 06:13 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 06:13 PM (IST)
जब तक सूरज चांद रहेगा, रामपाल तुम्हारा नाम रहेगा..
जब तक सूरज चांद रहेगा, रामपाल तुम्हारा नाम रहेगा..

संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़: गांव चितलांग रामपाल सिंह तंवर बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में शहीद हो गए। शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार को महेंद्रगढ़ लाया गया। जहां लोगों ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी। उसके बाद सेना के टुकड़ी ने शहीद रामपाल को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद रामपाल के दोनों पुत्र कृष्ण और अजुर्न ने उन्हें मुखाग्नि दी।

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जिले की सीमा से सैकड़ों वाहन उनके पार्थिव शरीर को लेकर गांव पाली में बाबा जयराम दास आश्रम में पहुंचे। जहां हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने भारत मां की जय, जब तक सूरज चांद रहेगा, रामपाल तुम्हारा नाम रहेगा के नारों के साथ वातावरण को गुंजायमान कर दिया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में बारिश के बीच नौजवान हाथों में तिरंगा लेकर मां भारती के सपूत को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़े।

इस दौरान हरियाणा के पूर्व शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, तहसीलदार सुनीता, विधायक राव दान सिंह के भतीजे अरुण राव, पूर्व जिला पार्षद प्रदीप मालड़ा, जिला विधिक प्राधिकरण महेंद्रगढ़ के विधिक सेवक विजय सिंह चोटीवाला, जितेंद्र, सुनीता रानी, पटवारी सोनू तंवर, समाजसेवी रामनिवास पाटोदा, गांव के सरपंच हरिओम, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचार प्रमुख कैलाश पाली, विश्व हिदू परिषद के जिला अध्यक्ष रामजीवन, बाबा जयराम दास मंदिर कमेटी के प्रधान सूबेदार राम अवतार सिंह, सचिव विरेंद्र तंवर, देशराज सिंह, कप्तान शेर सिंह व सरपंच सुरेंद्र सिंह सहित अनेक लोगों ने शहीद रामपाल को अंतिम विदाई दी।

बता दें कि रामपाल सिंह तंवर वर्तिका 2018 आरआर यूनिट-22 राज राइफल 2002 में आर्मी में भर्ती हुए थे। उनकी शादी 17 फरवरी 2006 में चरखी दादरी जिले के गांव बंद खुर्द में सुनीता देवी के साथ हुई थी। 20 साल सेना में सर्विस करते हुए गुलमर्ग जम्मू कश्मीर में ड्यूटी पर तैनात 20 जनवरी को पोस्ट पर रक्षा करते हुए अपने प्राणों को कुर्बानी दे दी।


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