जरूरतमंदों को अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया
रोटरी क्लब की ओर से चलाई जा रही रोटरी रसोई पर रविवार को कढ़ी मूंग चावल और मिक्स सब्जी के साथ अन्नकूट के प्रसाद का वितरण किया गया।
जागरण संवाददाता, नारनौल: रोटरी क्लब की ओर से चलाई जा रही रोटरी रसोई पर रविवार को कढ़ी, मूंग, चावल और मिक्स सब्जी के साथ अन्नकूट के प्रसाद का वितरण किया गया। इसमें अलवर से बीएल गुप्ता एवं कोलकाता से विजय कुमार गिनोडिया ने रोटरी रसोई पर अपना सहयोग प्रदान किया। रसोई पर मात्र 10 रुपये में अपना पेट भरने वाले करीब 300 जरूरतमंद लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान पूर्व प्रधान डा. रावत ने अपने परिवार सहित रोटरी रसोई पर भोजन वितरण कर अपनी सेवाएं दीं। रोटरी क्लब प्रधान हितेंद्र शर्मा ने बताया कि समय-समय पर शहर के अनेक जागरूक एवं दानवीर सज्जन अपनी नेक कमाई से विशेष अवसरों पर अपना बेशकीमती सहयोग रसोई को प्रदान कर रहे हैं, जिससे रोटरी क्लब को इतने लंबे समय से लगातार इस जनहित की रसोई को चलाने में मदद मिलती है तथा हमारा उत्साहवर्धन भी होता है। इससे रोटरी क्लब से जुड़े हमारे सभी साथी इस जनहित की रसोई को सुचारु रूप से चलाने के लिए सदैव उत्सुक रहते हैं। इस अवसर पर जोनल सेक्रेटरी प्रवीण संघी, प्रधान हितेंद्र शर्मा, पूर्व प्रधान संजय गर्ग, विजय जिदल, नवीन संघी, संदीप शुक्ला, प्रवीण छाबड़ा, विनोद चौधरी एवं रेखा रावत आदि उपस्थित रहे।
विद्यार्थी इंटरनेट का प्रयोग सही कार्यो में करें
संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़: दिल्ली पब्लिक स्कूल महेंद्रगढ़ द्वारा आनलाइन साइबर सुरक्षा की जानकारी दी गई। विद्यालय के प्रवक्ता रमेश कुमार झा ने बताया कि हेडमास्टर गौरव कुमारद्वारा विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को साइबर सुरक्षा संबंधित जानकारी देने के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें काफी संख्या में विद्यार्थियों, अभिभावक एवं शिक्षक-शिक्षिकाएं लाभान्वित हुईं। गौरव कुमार ने कहा कि वर्तमान समय में इस विषय पर लोगों को जागरूक किया जाना। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि एक रिसर्च के मुताबिक कोविड-19 के आने के बाद साइबर क्राइम में लगभग 81 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वेबिनार के माध्यम से उन्होंने साइबर क्राइम के शिकार होने के कारण एवं निवारण पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने विभिन्न आयु वर्ग के विद्यार्थियों के लिए विशेष प्रतिबंधों के साथ इंटरनेट प्रयोग करने की सलाह दी। चर्चा के दौरान उन्होंने एक रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि केवल 15 प्रतिशत अभिभावक जानते हैं कि उनके बच्चे इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं तथा 70 प्रतिशत बच्चे यह जानते हैं कि उनके द्वारा सर्च की गई चीजें कैसे छुपाई जाएं।