सिविल अस्पताल में एड्स पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कीर्ति जैन के मार्गदर्शन में बुधवार को सामान्य अस्पताल नारनौल में एड्स के बारे में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।
जागरण संवाददाता, नारनौल: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कीर्ति जैन के मार्गदर्शन में बुधवार को सामान्य अस्पताल नारनौल में एड्स के बारे में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम में डाक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ व अलग-अलग प्राथमिक चिकित्सा केंद्र का स्टाफ मौजूद था। इस मौके पर अधिवक्ता एसएस सुरेडिया ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि भारत का मानव इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस और एक्वायर्ड इम्यून डिफिशिएंसी सिड्रोम (रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम 2017) 10 सितंबर, 2018 से लागू हो गया। नया अधिनियम एचआइवी और एड्स के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के साथ-साथ प्रभावित लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा करने और एड्स पीड़ित मरीजों के साथ भेदभाव को आपराधिक घोषित करने का प्रयास करता है।
भारत एचआइवी एड्स के खिलाफ भेदभाव को दंडनीय अपराध बनाता है। यह अधिनियम एचआइवी के साथ रहने वाले व्यक्ति को रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं, शैक्षणिक सेवाओं, सार्वजनिक सुविधाओं, संपत्ति के अधिकारों, सार्वजनिक कार्यालय और बीमा को रखने के क्षेत्र में उनके खिलाफ मिले भेदभाव की रिपोर्ट करने का अधिकार देता है। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम संरक्षित व्यक्ति के खिलाफ घृणा के प्रचार को दंडित करता है, जहां एक उल्लंघनकर्ता को न्यूनतम तीन महीने की जेल की सजा के साथ अधिकतम दो साल तक की सजा हो सकती है तथा एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
यह अधिनियम एचआइवी पाजिटिव व्यक्ति के अलगाव को रोकता है। प्रत्येक एचआइवी पाजिटिव व्यक्ति को साझा घर में रहने और गैर-भेदभाव पूर्ण तरीके से सुविधाओं का उपयोग करने का अधिकार है। अधिनियम में लिखा है कि कोई भी व्यक्ति शब्दों के द्वारा या तो बोल या लिखित, प्रकाशित, प्रचार, अधिवक्ता या संकेत द्वारा या दृश्य प्रतिनिधित्व या अन्यथा किसी संरक्षित व्यक्ति या संरक्षित व्यक्ति के समूह के खिलाफ घृणा की भावनाओं से संवाद नहीं करेगा। इस अवसर पर सिविल सर्जन डा.अशोक कुमार, डा. हर्ष चौहान तथा डा. अजय व पैरा मेडिकल स्टाफ मौजूद था।