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इस घर से निकलता है जीरो प्रतिशत कचरा

कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र में एक ऐसा घर है जो जीरो प्रतिशत कचरा प्रोड्यूस करता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 07:15 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 07:15 AM (IST)
इस घर से निकलता है जीरो प्रतिशत कचरा
इस घर से निकलता है जीरो प्रतिशत कचरा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र

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कुरुक्षेत्र में एक ऐसा घर है जो जीरो प्रतिशत कचरा प्रोड्यूस करता है। इस घर का छोटे से बड़ा हर शख्स पर्यावरण प्रेमी है। न केवल घर में रहने वाले लोग पर्यावरण संरक्षण पर काम रहे हैं बल्कि घर का नाम भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है। न्यू शांति नगर स्थित परिवार ने अपने घर का नाम भी ईको हाउस रखा है। जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां से कचरा निकलने की बजाए बाहर का कचरा भी खप जाता हो। मगर इस घर में ऐसा हो रहा है। यहां आने वाला कोई भी सामान कचरा नहीं बनता। इस घर की रसोई से निकलने वाले कचरे से पेड़-पौधों के लिए खाद बनती है और भूमि व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली प्लास्टिक में नव-जीवन का संचार भरने वाले पौधों की पौध तैयार होती है। घर के बाहर का छोटा सा बगीचा पर्यावरण संरक्षण की कई कहानियों को अपने में समेटे हुए है। लोग जिन्हें बेकार सामान समझकर फेंक देते हैं ये उन्हें उठाकर करते हैं गार्डनिग

जहां लोग अपने घर से निकलने वाले बेकार सामान को बाहर फेंक देते हैं, वहीं इस परिवार के सदस्य बेकार, टूटे फूटे सामान, थर्माेकोल, प्लास्टिक के कप, डिब्बे, टूटे हुए हेलमेट, टॉयलेट की सीट, वॉशबेसिन, जूते तक में ईको हाउस सब्जी, फल, सजावटी पौधे और किचन गार्डनिग करते हैं। ईको हाउस में बेकार थर्मोकोल में रसोई गार्डनिग की जा रही है, जिसमें धनिया, मेथी उगाई जा रही है। इसके अलावा दही के कप, डिब्बों में सजावटी पौधे तैयार किए जा रहे हैं। घर के बाहर बनाए गए बगीचे में टॉयलेट की सीट, वॉशबेसिन, थर्मोकोल में भी पौधे लगे हुए हैं।

कुछ भी कचरा नहीं : नरेश भारद्वाज

पंजाब लोकल गवर्नमेंट डिपार्टमेंट के असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर तैनात पर्यावरणविद् नरेश भारद्वाज बताते हैं कि घर से निकलने वाली कोई भी चीज कूड़ा नहीं होती। लोगों को कूड़ा प्रबंधन के बारे में ज्ञान नहीं होता। अगर लोगों की रुचि थोड़ी सी इस ओर हो जाए तो न केवल वे अपने घरों को हरा-भरा बना सकते हैं बल्कि ताजी घर में उगी हुई सब्जियों का लुत्फ भी उठा सकते हैं। जब मैं अपने बच्चों के साथ घर के बाहर जाता हूं तो किसी के घर के बाहर बेकार सामान को अपने साथ उठा लाता। उसमें किचन गार्डनिग करता। धीरे-धीरे बच्चों के मन में भी पर्यावरण संरक्षण का बीज फूट गया और अब वे भी पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना दायित्व समझने लगे हैं। घर की रसोई से निकलने वाले गीले कचरे को खाद बनाने में प्रयोग किया जा सकता है, जबकि पॉलिथिन का प्रयोग फ्यूल के तौर पर सीमेंट फैक्टरी में होता है। इसलिए कुछ भी बेकार नहीं है।


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