यज्ञ वातावरण में फैले वायरस को खत्म करने के साथ इंसान व जीव-जंतुओं बचाता है जान : पाल
संवाद सहयोगी लाडवा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस प्रीतम पाल ने कहा कि
संवाद सहयोगी, लाडवा : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस प्रीतम पाल ने कहा कि यज्ञ एटम बम जैसा होता है। इनमें सिर्फ इतना फर्क है कि एटम बम से वातावरण दूषित होता है और लोगों की जान जाती है, जबकि यज्ञ वातावरण को शुद्ध करता है और वातावरण में फैले वायरस को खत्म कर इंसान, बल्कि जीव जंतुओं की जान बचाता है।
जस्टिस प्रीतम पाल रविवार को लाडवा-इंद्री मार्ग पर स्थित यज्ञशाला में आए लोगों को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व उन्होंने यज्ञशाला में कोरोना महामारी के दौरान विश्व कल्याण के लिए चारों वेदों के मंत्रों उच्चारण के साथ एक माह से चल रहे यज्ञ में संपूर्ण आहुति डाली तथा सभी को यज्ञ करने के लिए प्रेरित किया। यज्ञशाला में यज्ञ का आयोजन यज्ञशाला की संचालिका माया प्रीतमपाल की ओर से किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य कोरोना महामारी के दौरान विषम परिस्थितियों से गुजर रहे देश व देशवासियों की सुख-समृद्धि तथा हवन कर वातावरण को शुद्ध करना था। जस्टिस प्रीतम पाल ने कहा कि हवन को कई नाम से पुकारा जाता है। इसे देव यज्ञ भी कहा जाता है। जब अग्नि के ऊपर हम घी व सामग्री डालते है तो यह एटम बम बनकर वातावरण में फटता है जो वातावरण को शुद्ध कर वातावरण में फैले वायरस को खत्म करता है। यज्ञशाला में ऋषि लंगर का भी आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर हाकम सिंह, सतीश कंबोज, गुरुकुल के आचार्य संदीपन, ब्रह्मचारी पवित्र आर्य व बच्चे भी मौजूद थे।
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यज्ञशाला में चल रहे गुरुकुल में दी जाएगी निश्शुल्क शिक्षा
जस्टिस प्रीतम पाल ने कहा कि कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों को यज्ञशाला में चल रहे गुरुकुल में निश्शुल्क शिक्षा दी जाएगी। देश आज विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है। ऐसे में बच्चे अनाथ हो गए है। उनको निश्शुल्क शिक्षा देने की गुरुकुल की ओर से पहल की जा रही है। इस गुरुकुल की स्थापना लाडवा-इंद्री मार्ग पर गांव बडौंदी के पास स्थित की गई थी। इस गुरुकुल का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देना व अपनी प्राचीन संस्कृति को बढ़ावा देना है। गुरुकुल में छठी से 12वीं कक्षा तक भिवानी बोर्ड हरियाणा से संबंध है। गुरुकुल में संस्कृत पढ़ना अनिवार्य है और पूर्ण रूप से आवासीय है। संस्कृत गुरुकुल होने के कारण बोर्ड की कक्षाओं को छोड़कर केवल कक्षा पांचवीं, छठी, सातवीं के बच्चे ही लिए जाएंगे। बाद में उनको 12वीं तक निश्शुल्क शिक्षा दी जाएगी।