मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना जरूरी : प्रो. एमएम गोयल
कुरुक्षेत्र मध्यम वर्ग पर कोविड संकट के प्रभाव को कम करने के लिए हमें जमाखोरी और कालाबाजारी के कारण होने वाली खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना होगा। ऐसा नहीं किया तो आने वाले समय में इन सबको लेकर मुश्किल बढ़ जाएंगी।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : मध्यम वर्ग पर कोविड संकट के प्रभाव को कम करने के लिए हमें जमाखोरी और कालाबाजारी के कारण होने वाली खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना होगा। ऐसा नहीं किया तो आने वाले समय में इन सबको लेकर मुश्किल बढ़ जाएंगी।
यह बात पूर्व कुलपति एवं नीडोनामिक्स स्कूल आफ थाट कुरुक्षेत्र के संस्थापक प्रो. एमएम गोयल ने कही। वे एफएमसी, आइसीएफएआइ विश्वविद्यालय त्रिपुरा के भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 का प्रभाव विषय पर आयोजित वेबिनार में प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। डा. सुशोभन मैती ने स्वागत संबोधन किया और प्रो. एमएम. गोयल की उपलब्धियों का प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया। प्रो-वाइस चांसलर प्रो. बिप्लब हैदर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
प्रो. एमएम गोयल ने कहा कि कोविड संकट से उबरने के लिए आर्थिक सुधार में सभी प्रकार के विकल्पों में आवश्यकता आधारित प्राथमिकताओं पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए विपणन के एनएडब्ल्यू दृष्टिकोण (आवश्यकता, वहनीयता और मूल्य) को अपनाना होगा। कोविड जैसी किसी भी गंभीर स्थिति में लाभ से जोखिम अनुपात का अनुकूलन करने के लिए हमें लाभों पर ध्यान देना होगा। टीकाकरण की हिचकिचाहट अज्ञानता और भय से शुरू हुई। इसे लेकर जागरूकता आनी चाहिए। प्रो. गोयल ने कहा कि हमें बिना किसी वित्तीय आवश्यकता वाले आवश्यक समाधानों पर विचार करना होगा। ईपीएफ को स्वैच्छिक बनाकर मध्यम वर्ग के कर्मचारियों के घर ले जाने के वेतन को बढ़ाने का एक मजबूत मामला है। इससे कोविड के दौरान क्रय शक्ति का निर्माण होगा। प्रो. गोयल ने कहा कि कोविड संकट का साहस के साथ सामना करने के लिए हमें सावधान और उपयोगी भारतीय रहकर अर्थव्यवस्था में समाधान टीम का हिस्सा बनना होगा।