समस्त बाधाओं को समाप्त करने के लिए शिव नाम ही पर्याप्त : स्वामी प्रेमानंद
श्रीमहाभारतीय संस्कृति अनुसंधान न्यास की ओर से बुधवार को कृष्णा धाम में हवनात्मक महारुद्र यज्ञ के दूसरे दिन महारुद्र शिव की महिमा बताई गई। इस अनुष्ठान की अध्यक्षता कृष्णा धाम के अध्यक्ष स्वामी प्रेमानंद महाराज ने की।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रीमहाभारतीय संस्कृति अनुसंधान न्यास की ओर से बुधवार को कृष्णा धाम में हवनात्मक महारुद्र यज्ञ के दूसरे दिन महारुद्र शिव की महिमा बताई गई। इस अनुष्ठान की अध्यक्षता कृष्णा धाम के अध्यक्ष स्वामी प्रेमानंद महाराज ने की।
स्वामी प्रेमानंद महाराज ने कहा कि महारुद्र शिव का नाम ही पर्याप्त है। शिव को एक तरफ जहां उनके भोलेपन के कारण भोलेनाथ के नाम से जाना जाता हैं वहीं शिव जी का महारुद्र रूप सभी देवी देवताओं और राक्षसों के हृदय को कंपित कर देता हैं। उनका रौद्र रूप महाप्रलयकारी होता है। ब्रह्मा जी को जन्म देने वाला, विष्णु जी को पालन करने वाला और महादेव को संहारक के रूप में जाना जाता है। शिव एक मात्र ऐसे देव हैं जिन्होंने राक्षस एवं देव को उनकी दुष्टता के कारण नाश किया है। शिव पुराण के अनुसार सती द्वारा यज्ञ में कूदकर अपने प्राणों की आहुति देने से क्रोधित महादेव के क्रोध से उत्पन्न हुआ वीरभद्र दक्ष के यज्ञ को नष्ट करता हुआ जब दक्ष के समक्ष खडा हुआ तो तीनों लोकों में किसी में भी इतना साहस न था की वे दक्ष की रक्षा कर सके।
हवन में डाली आहुति
कार्यक्रम में यज्ञाचार्य रामकैलाश शुक्ला, आचार्य दीपक उपाध्याय, रवि त्रिपाठी, माणिक लाल पांडे ने अनुष्ठान के मुख्य यजमान करनाल के समाज सेवी नरसिंह गोयल, सुभाष चंद जांगड़ा और ओमी लाल यजमानों से हवन में आहुतियां डलवाई। इस अवसर पर शिव नारायण, राजकुमार पांडे, नीरज मिश्रा, नील मिश्रा, नितेश शुक्ला, जितेंद्र कोठारी, राजकुमार दीक्षित, आशीष गर्ग, गौरव त्रिपाठी और आकाश शुक्ला मौजूद रहे।