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साल दर साल लंबी हो रही चावल घोटालेबाजों की लिस्ट

धर्मनगरी में धान घोटाला करने वाले मिल मालिकों की सूची साल दर साल लंबी होती जा रही है। पिछले साल एक दर्जन मिल मालिकों को डिफाल्टर घोषित किया था। इस बार 25 मिल मालिक इसी कैटेगरी में शामिल हैं। पॉलिसी और सिस्टम की कमजोर कड़ियों के चलते मिल मालिक इसके खिलाफ कोर्ट में चले गए। कुछ राजनीतिक संरक्षण लेकर पहले ही बच गए। इसी घोटाले के चलते खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एक इंस्पेक्टर ने गत दिनों ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में करोड़ों की रिकवरी की बात सामने आई थी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 08:22 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 08:22 AM (IST)
साल दर साल लंबी हो रही चावल घोटालेबाजों की लिस्ट
साल दर साल लंबी हो रही चावल घोटालेबाजों की लिस्ट

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : धर्मनगरी में धान घोटाला करने वाले मिल मालिकों की सूची साल दर साल लंबी होती जा रही है। पिछले साल एक दर्जन मिल मालिकों को डिफाल्टर घोषित किया था। इस बार 25 मिल मालिक इसी कैटेगरी में शामिल हैं। पॉलिसी और सिस्टम की कमजोर कड़ियों के चलते मिल मालिक इसके खिलाफ कोर्ट में चले गए। कुछ राजनीतिक संरक्षण लेकर पहले ही बच गए। इसी घोटाले के चलते खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एक इंस्पेक्टर ने गत दिनों ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में करोड़ों की रिकवरी की बात सामने आई थी।

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किरकिरी के बाद रिकवरी तेज

चावल घोटाले सामने आने के बाद मिलों से चावल की रिकवरी तेज कर दी है। बुधवार को 2668 मीट्रिक टन चावल एफसीआइ को भेजा गया। विभाग को इसके लिए 92 गाड़ियां लगाई। इंस्पेक्टरों से शाम को रिकवरी किए चावल का डाटा लिया गया। इन सबके बीच खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक राजेश्वर मौदगिल बुधवार को रिलीव हो गए। उन्होंने चार मई को ही कुरुक्षेत्र में ज्वाइन किया था। उनका चरखी दादरी तबादला किया गया है। यहां झज्जर के डीएफएससी कुशल पाल बुरा आए हैं।

इंस्पेक्टर आशीष डांगी की आत्महत्या की नहीं खुली परत

डीएफएससी विभाग के निरीक्षक आशीष डांगी ने गत दिनों जहरीला पदार्थ निगल आत्महत्या कर ली थी। निरीक्षक की पत्नी ने पुलिस को दी शिकायत में विभाग के अधिकारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। इस मामले में एक वीडियो भी वायरल हुआ था। यह वीडियो अस्पताल का है। इसमें आशीष डांगी उपचार के दौरान तत्कालीन जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी नरेंद्र सहरावत, निरीक्षक अंकुर जांगड़ा व प्रवीण कुमार पर मंडी में पोस्टिग के लिए पैसे लेने की बात कह रहे थे। वायरल वीडियो में आरोप लगाया था कि उसने मंडी में पोस्टिग के लिए 50 हजार रुपये दिए हैं। पुलिस ने इसमें मुकदमा दर्ज कर लिया था। प्रतिपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा सत्र में इसकी जांच सीबीआइ से कराने की मांग उठाई थी। सरकार ने सीबीआइ से जांच कराने की सिफारिश की थी।

यह है मामला

जिले के 25 मिल मालिकों ने इस बार चावल की 70 फीसद से भी कम रिकवरी दी थी। इनको कोरोना वायरस के चलते दो माह का अतिरिक्त समय देने के बाद 30 जून तक चावल की पूरी रिकवरी देनी थी। विभागीय अधिकारियों ने इनको 15 जुलाई तक का समय दिया है।

घोटाले की जड़ ये दो बड़े कारण

नंबर-एक

पॉलिसी इस तरह आती है आड़े

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग मिल मालिकों को चावल निकालने के लिए हर साल धान देता है। विभाग एक पॉलिसी के तहत एक हजार क्विंटल धान पर 10 लाख रुपये सिक्योरिटी के रूप में मिल से लेता है। इसके आगे पांच, छह और सात लाख बढ़ती है। पॉलिसी के हिसाब से 70 हजार क्विंटल पर 40 लाख रुपये सिक्योरिटी जमा कराई जाती है। जबकि धान की कीमत कहीं अधिक होती है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि छतीसगढ़ में धान की पूरी राशि मिल मालिकों से जमा कराई जाती है।

नंबर-दो

राजनेताओं का संरक्षण

चावल घोटाले का दूसरा बड़ा कारण राजनेताओं का संरक्षण मिलना है। विगत वर्षों जिले के एक विधायक के मिल पर करोड़ों रुपये का चावल कम देने का आरोप लगा था। यह मामला काफी उछला था, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते इस मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो पाई। इसके बाद भी कई मिल मालिक इसी तरह से बच गए।


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