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जिले का मुख्य जच्चा-बच्चा वार्ड एक चिकित्सा अधिकारी, दो स्त्री रोग विशेषज्ञ के भरोसे

जिले का मुख्य जच्चा-बच्चा वार्ड सिर्फ तीन चिकित्सकों के भरोसे चल रहा है। एक चिकित्सा अधिकारी ओपीडी में मरीजों की जांच करती है तो बाकी की दो स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं जो 24-24 घंटे प्रसूति विभाग में आनकॉल ड्यूटी रहती हैं। जबकि यहां जिले भर से हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को भी यहां पर रेफर किया जाता है। मगर इस प्रसूति विभाग में बहुत बार जच्चा-बच्चा की सुरक्षा स्टाफ नर्सों के कंधों पर आ जाती है। इतना ही नहीं चिकित्सकों को इमरजैंसी होने पर कॉल करने तक के लिए स्टाफ नर्सों को बाहर जाना पड़ता है। लैंडलाइन फोन खराब होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जो मोबाइल दिया था वह मरीज के साथ आने वाला कोई व्यक्ति उठाकर ले गया। अस्पताल के प्रसूति विभाग में रेंज नहीं होने की वजह से स्टाफ नर्सों को इमरजैंसी में चिकित्सकों को बुलाने तक के लिए लेबर रूम छोड़कर अस्पताल के बाहर या इधर-उधर जाकर अपने मोबाइल पर सिग्लन ढूंढने पड़ते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 07:19 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 07:19 AM (IST)
जिले का मुख्य जच्चा-बच्चा वार्ड एक चिकित्सा अधिकारी, दो स्त्री रोग विशेषज्ञ के भरोसे
जिले का मुख्य जच्चा-बच्चा वार्ड एक चिकित्सा अधिकारी, दो स्त्री रोग विशेषज्ञ के भरोसे

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र

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जिले का मुख्य जच्चा-बच्चा वार्ड सिर्फ तीन चिकित्सकों के भरोसे चल रहा है। एक चिकित्सा अधिकारी ओपीडी में मरीजों की जांच करती है तो बाकी की दो स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, जिनकी 24-24 घंटे प्रसूति विभाग में आनकॉल ड्यूटी रहती हैं। जबकि यहां जिले भर से हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को भी यहां पर रेफर किया जाता है। मगर इस प्रसूति विभाग में बहुत बार जच्चा-बच्चा की सुरक्षा स्टाफ नर्सों के कंधों पर आ जाती है।

इतना ही नहीं चिकित्सकों को इमरजेंसी होने पर कॉल करने तक के लिए स्टाफ नर्सों को बाहर जाना पड़ता है। लैंडलाइन फोन खराब होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जो मोबाइल दिया था वह मरीज के साथ आने वाला कोई व्यक्ति उठाकर ले गया। अस्पताल के प्रसूति विभाग में रेंज नहीं होने की वजह से स्टाफ नर्सों को इमरजेंसी में चिकित्सकों को बुलाने तक के लिए लेबर रूम छोड़कर अस्पताल के बाहर या इधर-उधर जाकर अपने मोबाइल पर सिग्लन ढूंढने पड़ते हैं। भैया चिकित्सक बुलाने के लिए कुछ करो ना

जब स्टाफ नर्स को पता चला कि दैनिक जागरण का संवाददाता जानकारी ले रहा है तो स्टाफ नर्स बोलीं भैया चिकित्सक बुलाने के लिए कुछ करो ना। रात को बहुत बार स्टाफ नर्सें अकेली रह जाती हैं। चिकित्सक की कमी है। कम से कम एक चिकित्सा अधिकारी तो वार्ड में तैनात रहनी चाहिए। रात को बहुत बार स्टाफ को ही मरीज को रेफर करना पड़ता है। मरीज के अटेंडेंट उल्टा स्टाफ नर्स से लड़ने लग जाते हैं। 71 जच्चा-बच्चा दाखिल

एक तरफ पूरा अस्पताल और दूसरी तरफ प्रसूति विभाग। दोनों में दाखिल मरीजों का रिकॉर्ड जांचा जाए तो अस्पताल के आधे मरीजों की संख्या प्रसूति विभाग में होती है। सोमवार को सुबह तक प्रसूति विभाग में 71 जच्चा व बच्चा दाखिल थे। बंद पड़ी हैं सैनेटरी पैड की मशीन

एलएनजेपी अस्पताल में सैनेटरी पैड मशीन लगाई गई थी ताकि महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान सैनेटरी पैड प्रयोग करने के लिए जागरूकता बढ़ाई जाए। मगर यह मशीन लगाने के बाद कुछ ही दिनों तक चली। इसके बाद मशीन खराब हो गई। इसके बाद न तो अस्पताल प्रशासन की ओर से इसे दुरुस्त कराया गया और न ही इससे महिलाओं को सैनेटरी पैड मिले। समय-समय पर स्त्री रोग विशेषज्ञों की डिमांड प्रसूति विभाग में तैनात करने के लिए की जाती है। फिर भी 24 घंटे प्रसूति विभाग में स्त्री रोग विशेषज्ञ आन कॉल ड्यूटी पर तैनात रहते हैं।

- डॉ. मनजीत सिंह, चिकित्सा अधीक्षक, एलएनजेपी अस्पताल


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