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निकाय चेयरमैनों को स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 का पढ़ाया पाठ

कुरुक्षेत्र। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के बेहतर नतीजों के साथ धर्मनगरी में तैयारियों शुरू कर दी हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 06:15 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 06:15 AM (IST)
निकाय चेयरमैनों को स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 का पढ़ाया पाठ
निकाय चेयरमैनों को स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 का पढ़ाया पाठ

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के बेहतर नतीजों के साथ धर्मनगरी में तैयारियों शुरू कर दी हैं। एक दिवसीय कार्यशाला में नगर परिषद और नगरपालिका के चेयरमैनों को स्वच्छता सर्वेक्षण का पाठ पढ़ाया गया। कार्यशाला सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर फॉकस रही।

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वीरवार को स्थानीय पंचायत भवन में जिला प्रशासन की और से स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 व सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट को बेहतर बनाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला की गई। गुरुग्राम स्थित फीडबैक फाउंडेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर अजय सिन्हा ने दो सत्रों में इसको लेकर विस्तार से चर्चा की। पहले सत्र में सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट को सैधांतिक बनाने और दूसरे सत्र में इसकी व्यावहारिकता पर 32 इंडीकेटर्स के माध्यम से समझाया गया। डीसी शरणदीप कौर बराड़ ने स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में बेहतर रैंकिग लाने की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण को गंभीरता के साथ लेने की जरूरत है। इसके लिए उनको खुद आगे आना होगा। वे लोगों को जागरूक कर इसमें बेहतर स्थान पा सकते हैं। इस मौके पर एडीसी वीना हुड्डा, एसडीएम थानेसर अखिल पिलानी, पिहोवा एसडीएम सोनू राम, लाडवा एसडीएम अनिल यादव, डीएमसी नरेंद्र पाल मलिक, नगरपरिषद की चेयरमैन उमा सुधा, लाडवा नगरपालिका की चेयरमैन साक्षी मलिक मौजूद रही।

अगले स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए तीन महीने बाकी

अजय सिन्हा ने बताया कि 2021 के स्वच्छता सर्वेक्षण में तीन महीने बाकी हैं। नगर इकाइयां इन दिनों में बेहतर प्रबंध कर सकती हैं। इस तरह की कार्यशाला हर जिले में हो रही हैं। गुरुग्राम और पलवल में आयोजन किए जा चुके हैं। उन्होंने सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट के सैधांतिक पहलू बताए। उन्होंने कहा कि वेस्ट को बेकार की चीज न मानते उसका विस्तृत महत्व समझाना जरूरी है। इसी वेस्ट से देश के 40 लाख कूड़ा बीनने वालों को रोजगार मिल रहा है।

पाश्चात्य संस्कृति से बदली कूड़े की परिभाषा

अजय सिन्हा ने बताया कि वर्षों पहले कूड़े-कचरे को लेकर गांव और शहरों में अस्वच्छता का माहौल नहीं था। लोग इसके सामाजिक और धार्मिक पहलू को समझते हुए अपने तरीकों से प्रबंधन कर लेते थे। पाश्चात्य संस्कृति से जुड़कर लोगों ने कूड़े-कचरे की परिभाषा ही बदल दी। अब यह सूखे व गीले प्लास्टिक, सेनेटरी वेस्ट, डोमैस्टिक-हैजर्ड वेस्ट और ई-वेस्ट के रूप में वर्गीकृत हो गया है। घर में ही हरा और नीला नहीं बल्कि लाल और काले रंग के डस्टबिन भी रखना चाहिए।


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