होलिका दहन पर सूर्य के प्रभाव से बन रहा विशेष फलदायी योग, जानें किस राशि वाले क्या करें...
होलिका दहन का सर्वोत्तम समय रात 858 बजे के बाद रहेगा। इसी दिन दोपहर बाद 0417 बजे चंद्रमा उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं।
जेएनएन, कुरुक्षेत्र। इस बार होलिका दहन बुधवार को होने पर व्यापारियों के लिए फायदे का संयोग बन रहा है। बुध ग्रह व्यापार का देवता है ऐसे में इस दिन पड़ने वाली होली व्यापारियों के साथ-साथ आमजन को भी आर्थिक मजबूती देने वाली रहेगी। इसी दिन सायन सूर्य मीन राशि में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में सूर्य का प्रभाव इसे फलदायी बना रहा है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार होलिका दहन का सर्वोत्तम समय रात 8:58 बजे के बाद रहेगा। इसी दिन दोपहर बाद 04:17 बजे चंद्रमा उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं। यह सूर्य का अपना नक्षत्र है। ऐसे में अपनी राशि अनुसार उपाय करना लाभदायक रहेगा। इससे आर्थिक संपन्नता और मानसिक शांति मिलेगी। होलिका दहन के बाद भगवान विष्णु की पूजा करना भी लाभकारी रहेगा।
रात 8:58 बजे तक रहेगा प्रदोष काल
धार्मिक शोध केंद्र के अध्यक्ष ऋषभ वत्स का कहना है कि सायंकाल 6:34 बजे से रात 8:58 बजे तक प्रदोष काल रहेगा। सूर्यास्त के पश्चात रात्रि से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है। यह भद्रा से व्याप्त है। ऐसे में शास्त्रानुसार होलिका दहन का सर्वोत्तम समय रात 8:58 बजे के बाद रहेगी।
राशि अनुसार करें यह उपाय
- मेष राशि वाले जातक होलिका दहन के समय पेठे की मिठाई का दान करें तो उन्हें लाभ मिलेगा।
- वृष राशि वाले दूध से बने पदार्थ का दान करें।
- मिथुन व कन्या राशि वाले गुड़ का दान करें।
- सिंह राशि वाले जातक लाल की मिठाई बांट सकते हैं।
- कर्क राशि वाले सरसों के तेल से बने खाद्य पदार्थ का दान करें।
- तुला राशि वाले दूध के पदार्थों का दान करें।
- वृश्चिक राशि वाले मीठा दूध या शहद का दान करें।
- धनु व मीन राशि वाले बेसन के लड्डू का दान करें।
- मकर व कुम्भ राशि वाले बताशे का दान करें।
अलग-अलग राशियों के अनुसार तीनों लोकों में घूमती है भद्रा
ऋषभ वत्स ने बताया कि भद्रा का शाब्दिक अर्थ कल्याण करने वाली है, लेकिन इस अर्थ के विपरीत भद्रा या विष्टि करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में विचरण करता है और भद्रा विष्टि करण का योग होता है तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है। इस समय सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसके दोष निवारण के लिए भद्रा व्रत का विधान भी धर्मग्रंथों में बताया गया है।