स्वामी श्रद्धानंद को उनके बलिदान दिवस पर किया याद
गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संस्थापक एवं महान समाज सुधारक स्वामी श्रद्धानंद का 95वां बलिदान दिवस वीरवार को गुरुकुल परिसर में बेहद सादगी और श्रद्धा के साथ मनाया गया।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संस्थापक एवं महान समाज सुधारक स्वामी श्रद्धानंद का 95वां बलिदान दिवस वीरवार को गुरुकुल परिसर में बेहद सादगी और श्रद्धा के साथ मनाया गया। मुख्यातिथि गुरुकुल के प्रधान कुलवंत सिंह सैनी और विशिष्ट अतिथि निदेशक कर्नल अरुण दत्ता रहे। क्रांतिकारी भजनोदेशक जसविद्र आर्य ने गीतों के माध्यम से स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर प्रकाश डाला। गुरुकुल के मुख्य संरक्षक संजीव आर्य ने सफल मंच संचालन किया। एसएसबी ओरिएंटेशन प्रोग्राम के मुख्य वक्ता कर्नल बिजय गोपाल राय ने एसएसबी पर आधारित पुस्तक का भी विमोचन किया। इस अवसर पर कर्नल बिजय गोपाल राय, एयर कमांडर पीके रथ, कमांडर एसके पटनायक उपस्थित रहे।
कर्नल अरुण दत्ता ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद न केवल एक दूरदर्शी सोच रखने वाले महापुरुष थे, बल्कि आजादी के आंदोलन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। गुरुकुल कांगड़ी, गुरुकुल कुरुक्षेत्र और गुरुकुल इंद्रप्रस्थ जैसे वैदिक शिक्षा के संस्थान उनके प्रतिफल है। उन्होंने ही महात्मा गांधी को सर्वप्रथम महात्मा के नाम से पुकारा था।
गुरुकुल के प्रधान कुलवंत सैनी ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद के व्यक्तित्व से न केवल अंग्रेजी हुकूमत प्रभावित थी, बल्कि वे एकमात्र ऐसे संन्यासी थे जिन्होंने जामा मस्जिद की मिबर से वेदमंत्रों का उच्चारण किया था। उन्होंने हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखा और राष्ट्र की उन्नति के लिए संघर्ष किया। समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने के लिए भरसक प्रयास किया। उन्होंने सर्वप्रथम बालिका कन्या विद्यालय आरंभ किया। देश में लगभग समाप्त सी हो चुकी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित किया और कई गुरुकुलों का निर्माण करवाया। इस दौरान गुरुकुल में छात्रावास को साफ-सुथरा रखने वाले छात्रों को भी प्रधान कुलवंत सैनी ने सम्मानित किया। वहीं स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर संस्कृत, हिदी और अंग्रेजी भाषा में वक्तव्य देने वाले छात्रों को पुरस्कृत किया गया। मुख्य संरक्षक संजीव आर्य ने हरियाणा में नंबर वन हम गीत के माध्यम से गुरुकुल की लगातार फैलती ख्याति को प्रदर्शित किया।