आत्मनिर्भर भारत के लिए रीच मॉडल आवश्यक : प्रो. एमएम गोयल
पूर्व कुलपति एवं कुरुक्षेत्र आधारित नीडोनॉमिस्ट प्रो. एमएम गोयल ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए हमें रीच मॉडल की शिक्षा आवश्यकता है। इसके गीता पढ़ना आत्मज्ञान से सशक्त परोपकारी ²ष्टिकोण प्रतिबद्धता और आवश्यकता पर पकड़ पांच रूप हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : पूर्व कुलपति एवं कुरुक्षेत्र आधारित नीडोनॉमिस्ट प्रो. एमएम गोयल ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए हमें रीच मॉडल की शिक्षा आवश्यकता है। इसके गीता पढ़ना, आत्मज्ञान से सशक्त, परोपकारी ²ष्टिकोण, प्रतिबद्धता और आवश्यकता पर पकड़ पांच रूप हैं। उन्होंने ये बात वीरवार को राजकीय कालेज साईं खेड़ा जिला नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) के अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए कही। इसका विषय आत्मनिर्भर भारत के लिए नीडोनॉमिक्स रहा।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. हर्षित द्विवेदी ने प्रो. एमएम गोयल की उपलब्धियों का प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया। प्रो. गोयल ने कहा कि हमें आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए निर्भरता से मानसिक स्वतंत्रता की आवश्यकता है। उनका मानना है कि हमें प्रत्येक सशक्त भारतीय की पहुंच के भीतर आत्मनिर्भरता के एनएडब्ल्यू (आवश्यकता, सामर्थ्य और मूल्य) ²ष्टिकोण के साथ नीडोनॉमिक्स को अपनाना होगा। हमें वित्तीय योजना के साथ जीवन के चार आश्रम के वैदिक ज्ञान में निवेश के रहस्यों को अपनाना है। यह आवश्यकताओं की अर्थशास्त्र को अपनाने से निर्भीकता और खुशी लाता है।
उन्होंने कहा कि एक अर्थव्यवस्था में निर्वाह योग्य विकास और लोगों के लिए लालच पर नजर रखने के साथ आत्मनिर्भरता आवश्यक और पर्याप्त है। हमें दक्षिण कोरिया की पल्ली पल्ली (जल्दी करो जल्दी करो) संस्कृति सहित अन्य देशों से सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखना होगा। उपभोक्ताओं, उत्पादकों, वितरकों और व्यापारियों के रूप में भारतीयों को स्ट्रीट स्मार्ट होना चाहिए।