मन की शांति आत्मा को जानने के बाद प्राप्त होती : रेवा भारती
साध्वी रेवा भारती ने कहा कि मनुष्य अपने अंतिम लक्ष्य को भूल गया है। उसने अपनी शारीरिक आवश्यकताओं को जुटाने में अपने आप को सीमित तथा बंधक बना रखा है।
संवाद सहयोगी, बाबैन : साध्वी रेवा भारती ने कहा कि मनुष्य अपने अंतिम लक्ष्य को भूल गया है। उसने अपनी शारीरिक आवश्यकताओं को जुटाने में अपने आप को सीमित तथा बंधक बना रखा है। अपनी भौतिक जरूरतों और कामनाओं की संतुष्टि के लिए मानव दुनियावी वस्तुओं को प्राप्त करने में पूरी तरह लिप्त हो गया है। वे दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वावधान में आयोजित साप्ताहिक सत्संग में बोल रही थी।
साध्वी ने कहा कि भौतिक संपन्नता के बावजूद शाश्वत-शांति और आनंद मनुष्य की पकड़ से बाहर हो रहा है। वास्तव में सच्चा सुख सुंदर शरीर या भौतिक संपन्नता में नहीं होता। यह तो व्यक्ति की आंतरिक दशा पर निर्भर करता है। कैसी विडंबना है कि मनुष्य का जन्म पाकर भी हमने आत्मा को जानने का प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि सच्चा सुख और मन की शांति आत्मा को जानने के बाद ही प्राप्त की जा सकती है। आत्म-बोध तथा ईश्वर का बोध केवल इस मानव शरीर में ही संभव है।