मेडिकल स्टोर संचालक मनमर्जी रेट पर बेच रहे मरीजों को दवाइयां
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : आज कुछ निजी अस्पतालों में इलाज कराना आम लोगों के बस से बाहर
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : आज कुछ निजी अस्पतालों में इलाज कराना आम लोगों के बस से बाहर हो गया है। एक बार दाखिल हुए नहीं कि परिवार पर लाखों रुपये की देनदारी चढ़ जाती है। वास्तव में इलाज कराना इतना महंगा नहीं है, जितना की बना दिया है। तीन रुपये के इंजेक्शन को छह रुपये और छह रुपये की दवाई को 12 रुपये में बेचा जा रहा है, यानी मरीज उपचार पर खर्च होने वाली कुल राशि का बहुत बड़ा हिस्सा अनजाने में अस्पतालों के भीतर खुले मेडिकल स्टोर संचालकों को दे रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग अधिकारी ऐसे मेडिकल स्टोर चलाने वालों पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहें। इसी तरह की शिकायत रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन सेक्टर-17 के प्रधान राजेश्वर गोयल ने जिला सिविल सर्जन को की है।
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बेनामी टैक्स वसूला जा रहा
निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम में मरीजों से बेनामी टैक्स वसूला जा रहा। पिछले दिनों मेरे एक परिचित को शहर के ही एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। उनसे जब दवाइयों व अन्य बिल मांगे गए तो उन्होंने जो बिल दिया उस पर भारी भरकम टैक्स लगाया गया दर्शाया गया है। अस्पतालों के भीतर मेडिकल स्टोर पर बाहर मेडिकल स्टोर से ज्यादा रेट पर दवाइयां बेची जा रही हैं। इसके अलावा बिल पर दवाई की न किसी कंपनी का नाम दर्शाया गया है न ही मरीज का पता लिखा गया है, जो वेनफ्लोन केनुला बाहर से 8 रुपये 40 पैसे का मिलता है वह अस्पताल के भीतर से 50 रुपये के साथ 52 रुपये अतिरिक्त टैक्स लगाकर वसूला जा रहा है। जिस दवाई पर एमआरपी 23 रुपये 94 पैसे लिखा है उसका एमआरपी अस्पताल के भीतर दवाइयों के बिल में 32 रुपये 92 पैसे दिखाया गया है। फर्म का न तो लाइसेंस स्टोर पर कहीं दिखाई दिया और न ही डिस्प्ले बोर्ड, जबकि फार्मासिस्ट का नाम भी बोर्ड पर अंकित होना जरूरी है। अस्पतालों के भीतर एक ही फार्मासिस्ट के लाइसेंस पर 24 घंटे दवाइयां बेची जा रही है, जबकि नियमानुसार अलग-अलग तीन फार्मासिस्ट उपलब्ध होने चाहिए जो तीन शिफ्टों में काम करे। इस बारे एक शिकायत सिविल सर्जन डॉ. एसके नैन को भी सौंपी गई है।
राजेश्वर गोयल, अध्यक्ष, सेक्टर-17 सिटी सेंटर वेलफेयर एसोसिएशन
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नियमानुसार होगी कार्रवाई
जैसा आप बता रहे हैं कोई बेनामी टैक्स लगाया जा रहा है तो वह गलत है। यह हो सकता है कि अस्पताल के अंदर बैठा मेडिकल स्टोर संचालक पांच प्रतिशत छूट दे रहा हो और उसी दवाई पर बाहर से कुछ ज्यादा छूट मिल रही हो, लेकिन अगर छूट न देकर अतिरिक्त टैक्स वसूला जा रहा है तो यह अनुचित है। अगर ऐसी कोई भी शिकायत मेरे पास आती है तो संबंधित लोगों के खिलाफ आइएमए के संविधान में दिए गए प्रावधान के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. सुरेंद्र मेहता, जिला प्रधान, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन
जांच कराएंगे : डॉ. नैन
जिला सिविल सर्जन डॉ. एसके नैन ने कहा कि उन्हें इस संबंध में शिकायत मिली है। वे इसकी जांच कराएंगे। दोषी पाए जाने पर संबंधित मेडिक स्टोर के के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।