अधिकारियों ने किया खरीद का दावा, आढ़तियों ने कहा गेहूं के एक दाने की नहीं हुई तुलाई और भराई
गेहूं की सरकारी खरीद को लेकर आढ़तियों की मांगों की अनदेखी से मामला गर्माने लगा है। आढ़तियों के वीरवार से तुलाई और भराई का काम बंद करने के दावे के बीच कई अधिकारी अनाज मंडियों में खरीद के दावे कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गेहूं की सरकारी खरीद को लेकर आढ़तियों की मांगों की अनदेखी से मामला गर्माने लगा है। आढ़तियों के वीरवार से तुलाई और भराई का काम बंद करने के दावे के बीच कई अधिकारी अनाज मंडियों में खरीद के दावे कर रहे हैं। इस पर हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन ने साफ किया है कि जिला भर में वीरवार को गेहूं के एक भी दाने की तुलाई और भराई नहीं हुई है। अधिकारी सरकार की आखों में धूल झोंकने के लिए बुधवार की देर रात को भरी गई बोरियों को वीरवार की खरीद दिखा रहे हैं। दूसरी ओर आढ़तियों के खरीद में सहयोग न करने पर दिन भर मार्केट कमेटी अधिकारी डिपो होल्डर से तालमेल करना शुरू कर दिया है। थानेसर मार्केट कमेटी में नौ और इस्माईलाबाद मार्केट कमेटी में 12 डिपो होल्डर ने अस्थाई लाइसेंस के लिए सिक्योरिटी भी जमा करवा दी है। कई जगह किए खरीद के प्रयास
हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष बनारसी दास ने बताया कि जिला भर में वीरवार को कहीं भी गेहूं की तुलाई व भराई नहीं हुई है। कई जगह अधिकारियों ने साफ की गई गेहूं को खरीद में चढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन आढ़तियों ने एक भी दाने की तुलाई और भराई नहीं की है। अगर सरकार का यही रुख रहा तो आढ़ती और कड़ा फैसला भी ले सकते हैं। स्थिति को देखते हुए डिपो होल्डर ने बुलाई बैठक
बाबैन संवाद सहयोगी के अनुसार आढ़तियों के खरीद में सहयोग न करने पर डिपो होल्डर को खरीद के लिए अस्थायी लाइसेंस जारी होने पर डिपो होल्डर असमंजस की स्थिति में हैं। डिपो होल्डरों ने बैठक बुलाकर सरकार से अपने फैसला पर दोबारा विचार करने की अपील की है। हरियाणा डिपो होल्डर एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष राजकुमार सिगला ने कहा कि उन्हें गेहूं खरीद के बारे में कोई जानकारी व अनुभव नहीं है। उनके पास गेहूं खरीद के लिए पर्याप्त संसाधन भी नहीं है। जिला प्रधान राजेंद्र शर्मा ने कहा कि गेहूं खरीद के लिए मजदूर, जे फार्म काटने, गेहूं की तुलाई करने व अन्य कार्यों के लिए उनके पास कुछ भी साधन नहीं है। किसान उनके पास गेहूं बेचने आएगा या नहीं इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। अगर नमी के चलते बाद में भारतीय खाद्य निगम ने गेहूं को रिजेक्ट कर लस्टर लॉस लगा दिया तो इसकी भरपाई कौन करेगा।