Move to Jagran APP

अक्षमताओं और प्रावधानों के दुरुपयोग से भरे ग्रामीण विकास की पूरी प्रणाली के जीर्णोद्धार की आवश्यकता : प्रो. गोयल

फोटो- 1 जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र पूर्व कुलपति एवं कुरुक्षेत्र आधारित नीडोनॉमिस्ट प्रो. ए

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 05:30 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 05:30 AM (IST)
अक्षमताओं और प्रावधानों के दुरुपयोग से भरे ग्रामीण विकास की पूरी प्रणाली के जीर्णोद्धार की आवश्यकता : प्रो. गोयल
अक्षमताओं और प्रावधानों के दुरुपयोग से भरे ग्रामीण विकास की पूरी प्रणाली के जीर्णोद्धार की आवश्यकता : प्रो. गोयल

फोटो- 1

loksabha election banner

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : पूर्व कुलपति एवं कुरुक्षेत्र आधारित नीडोनॉमिस्ट प्रो. एमएम गोयल ने कहा कि अक्षमताओं और प्रावधानों के दुरुपयोग से ग्रामीण विकास को सही दिशा नहीं मिल पा रही। राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों की सांठगांठ इसका बड़ा कारण है। अब इस प्रणाली के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है।

उन्होंने ये बात वीरवार को अकादमी ऑफ ग्रासरूट स्टडीज एंड रिसर्च ऑफ इंडिया तिरुपति के ऑनलाइन व्याख्यान पर कही। इसका विषय ग्रामीण भारत में आत्मनिर्भरता नीडोनॉमिक्स की प्रासंगिकता रहा। संस्थापक निदेशक और कार्यक्रम के मध्यस्थ (मॉडरेटर) डा. सुंदरराम ने उनका स्वागत किया।

प्रो. गोयल ने कहा कि ग्रामीण भारत में आत्मनिर्भरता के लिए हमें दक्षिण कोरिया के ग्रामीण विकास का सैमलु मॉडल और पल्ली पल्ली संस्कृति से सीख लेने की जरूरत है। इसमें सरकार के केवल 11 प्रतिशत योगदान के साथ प्रशिक्षण और सामग्री के माध्यम से सभी को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और मलेशिया जैसा ग्रामीण पर्यटन के साथ सतत विकास के लिए ग्रामीण भारत में आत्मनिर्भरता आवश्यक है। हमें सभी प्रकार के विकल्पों में नीडोनॉमिक्स के साथ कृषि उत्पादों के विपणन के लिए एनएडब्ल्यू (आवश्यकता, साम‌र्थ्य एवं मूल्य) ²ष्टिकोण अपनाना होगा। ग्रामीण भारत में आत्मनिर्भरता के लिए उपभोक्ताओं, उत्पादकों, वितरकों और व्यापारियों के रूप में ग्रामीणों को स्ट्रीट स्मार्ट होना चाहिए । इसमें पांच चरणों से युक्त रीच मॉडल की आवश्यकता है। इसमें गीता पढ़ना, ज्ञानवर्धन के साथ सशक्तिकरण, परोपकारी दृष्टिकोण, प्रतिबद्धता और आवश्यकताएं पर पकड़ शामिल है। उन्होंने कहा कि गीता किसी एक व्यक्ति या वर्ग तक सीमित नहीं है। इसमें संपूर्ण ब्रह्मंड के लिए कहा गया है। श्रीकृष्ण भगवान ने कुरुक्षेत्र की धरती पर अर्जुन को नीमित कर गीता का संदेश दिया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.