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कुवि के नंदा केंद्र में वैदिक राष्ट्रनीति एवं राष्ट्र निर्माण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में भारतरत्न गुलजारी लाल नंदा की 23वीं पुण्यतिथि पर हरियाणा संस्कृत अकादमी पंचकूला कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड भारतीय विद्या संकाय और नंदाजी नीति एवं दर्शन शास्त्र केंद्र के सहयोग से राष्ट्रीय संगोष्ठी कराई गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 07:30 AM (IST)
कुवि के नंदा केंद्र में वैदिक राष्ट्रनीति एवं राष्ट्र निर्माण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
कुवि के नंदा केंद्र में वैदिक राष्ट्रनीति एवं राष्ट्र निर्माण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में भारतरत्न गुलजारी लाल नंदा की 23वीं पुण्यतिथि पर हरियाणा संस्कृत अकादमी, पंचकूला, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, भारतीय विद्या संकाय और नंदाजी नीति एवं दर्शन शास्त्र केंद्र के सहयोग से राष्ट्रीय संगोष्ठी कराई गई।

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मुख्यातिथि वैदिक विद्वान डॉ. कैलाश चंद्र विद्यालंकार, मुख्य वक्ता दार्शनिक डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा, अध्यक्ष निदेशक हरियाणा संस्कृत अकादमी, डॉ. केके शर्मा, डॉ. ललित गौड, डॉ. सोमेश्वर दत विशिष्ट वक्ता रहे। डॉ. प्रवीण भारद्वाज करनाल व डॉ. कामदेव झा, महाकवि आचार्य कनाडा से आए डॉ. ऋषिराम शर्मा, महाकवि आचार्य महावीर प्रसाद शर्मा सारस्वत वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।

केंद्र के निदेशक डॉ. सुरेंद्र मोहन मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नंदा को राजनीति में एक राजर्षि के रूप में वर्णित किया। उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र के संस्थापक राजर्षि कुरु की भांति इस युग में आधुनिक कुरुक्षेत्र के निर्माता पुरुष नंदा हैं। प्रो. केके शर्मा पूर्व कुलपति नागालैंड ने नंदा के आदर्श राष्ट्रीय एवं राजनीतिक जीवन के आदर्श को शिक्षा में शामिल करने पर बल दिया। महावीर प्रसाद शर्मा ने नंदा को युगपुरुष में राजनीति में स्वच्छता के सिद्ध दृष्टान्त बताया।

मुख्य वक्ता डॉ. सिन्हा ने रोम से आयोजित नेशन एवं वेदों के राष्ट्र शब्द में अंतर बताया और भारत राष्ट्र के निर्माण में देश की अस्मिता संपन्न राष्ट्र को बल देने की आवश्यकता बताई। मुख्यातिथि डॉ. विद्यालंकार ने गांधी एवं दयानंद के राष्ट्र की संकल्पना के ध्वजावाहक के रूप में नंदा की प्रस्तुत किया। अध्यक्ष डॉ. सोमेश्वर दत्त ने वेदों राष्ट्र व राजनीति के सिद्धांतों के गंभीर विचार और भारत राष्ट्र के पुननिर्माण के लिए सार्थक विनियोग पर बल दिया।


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