अस्तलचगामी सूर्य को अर्घ्य देने ब्रह्मसरोवसर पर उमड़ा जन सैलाब
छठ पर्व पर आस्था का सैलाब शनिवार को ब्रह्मसरोवर तट पर उमड़ पड़ा। परंपरागत गीतों की धूम और ढोल की थाप के साथ श्रद्धालु छठ मइया की पूजा की। महिला व पुरुष श्रद्धालुओं ने सायं को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पति पुत्र पुत्री व परिवार के लिए मंगलकामनाएं की।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: छठ पर्व पर आस्था का सैलाब शनिवार को ब्रह्मसरोवर तट पर उमड़ पड़ा। परंपरागत गीतों की धूम और ढोल की थाप के साथ श्रद्धालु छठ मइया की पूजा की। महिला व पुरुष श्रद्धालुओं ने सायं को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पति, पुत्र, पुत्री व परिवार के लिए मंगलकामनाएं की।
नहाय-खाय के साथ शुरू हुए छठ पर्व पर शनिवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बड़ी तादाद में श्रद्धालु दोपहर को ही ब्रह्मसरोवर पहुंचने लगे। शाम होते ही सुहागिनें नारियल, गन्ने, सिघाड़ा, ठेकुआ, अदरक, पत्ती वाली हल्दी, वस्तुएं सूप में रखकर ब्रह्मसरोवर के पानी में प्रवेश कर गई। हाथ जोड़ कर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर नमन किया और तब तक खड़े रहे जब तक सूर्य अस्त नहीं हो गए। सूर्यास्त होने के बाद ज्यादातर श्रद्धालु ब्रह्मसरोवर के बरामदों में ही रुक गए, जबकि कई लोग सुबह फिर से वापस आने के लिए घर की ओर अपने-अपने वाहनों में निकल गए। इसकी वजह से सड़कों पर भारी भीड़ रही। रविवार को सूर्योदय के पूजन के बाद ही प्रसाद वितरण के बाद छठ पर्व भी संपन्न हो जाएगा। दंडवत प्रणाम करते हुए पहुंचे ब्रह्मसरोवर
अपने घर और वाहनों से उतरने के बाद श्रद्धालु दंडवत प्रणाम करते हुए ब्रह्मसरोवर तक पहुंचे। इस दौरान ऊबड़-खाबड़ रास्ते भी श्रद्धालुओं की आस्था को कम नहीं कर पाए। ट्रैफिक के बीच में से इन श्रद्धालुओं को दंडवत करते हुए काफी दिक्कत हुई। जहां भी श्रद्धालुओं ने दंडवत करते हुए श्रद्धालुओं को देखा उन्हें नमन किया। महिलाओं ने गाए गीत
सुहागिनों ने दीप जलाकर केलवा जे फरेला घवद से आइ पर सुगा मेड़राई, सुगवा के मरबो धेनुख से सुगा जइहे मुरछाई गीत गाए। इस दौरान महिलाओं ने बरामदों में बैठकर एक साथ भजन गाते हुए नजर आए। भजनों का सिलसिला सायं को ही शुरू हो गया जो अल सुबह तक जारी रहेगा। जमकर हुई आतिशबाजी
ब्रह्मसरोवर पर परिवार के साथ आए बच्चों ने जमकर आतिशबाजी की। बच्चे भीड़ होने की वजह से पटाखे चलाते हुए नजर आए। इस दौरान बड़ों ने कई बार बच्चों को रोका भी लेकिन वे नहीं माने। ढांड से बैंडबाजों के साथ धर्मनगरी पहुंचे सीताराम
ढांड निवासी सीताराम, उनकी पत्नी अमिता अपने बच्चों के साथ बैंडबाजों के साथ ब्रह्मसरोवर पहुंचे। पार्किंग स्थल से जैसे ही कार से उतरे तो ढोल के साथ नाचते हुए ब्रह्मसरोवर स्थल तक पहुंचे। सीताराम ने बताया कि उनकी पत्नी ने पहली बार व्रत रखा है, जिसके लिए वे खुशी के मनाते हुए मेला क्षेत्र तक पहुंचे हैं। उनकी पत्नी ने यह व्रत अपने बच्चों के स्वास्थ्य और उनके उज्वल भविष्य की कामना के लिए रखा है। यह 36 घंटे का व्रत है। जिसे बड़ी ही दृढ़ निश्चय के साथ रखा जाता है। अपनी बेटी पुष्पांजलि, स्वाती, लक्ष्मी, प्रिस और पूरब के लिए छठ मइया से पूजा की है। बेटी के लिए हर साल रखती हैं व्रत
मोहन नगर निवासी मीना शर्मा ने बताया कि वे पिछले छह साल से व्रत रख रही हैं। उनकी इकलौती बेटी अंकिता है। 21 वर्षीय अंकिता के लिए वे छठ मइया से उज्वल भविष्य की कामना करती हैं। मीना शर्मा ने कहा कि बेटे और बेटियों में कोई फर्क नहीं होती है। यह व्रत बच्चों के स्वास्थ्य और उनके लिए मंगलकामनाओं के लिए रखा जाता है। कुछ लोग इस व्रत को पुत्र की प्राप्ति के लिए करते हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा छठ मइया से अपनी बेटी के लिए मंगलकामनाएं और परिवार की सकुशलता की प्रार्थना की है।