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गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों में कुपोषण सबसे बड़ी समस्या : मुकुल

जिला महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से 31 मार्च तक राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत पोषण पखवाड़े का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत 31 मार्च तक प्रतिदिन एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 06:24 AM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 06:24 AM (IST)
गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों में कुपोषण सबसे बड़ी समस्या : मुकुल
गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों में कुपोषण सबसे बड़ी समस्या : मुकुल

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जिला महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से 31 मार्च तक राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत पोषण पखवाड़े का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत 31 मार्च तक प्रतिदिन एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। पखवाड़े के तहत 0 से 6 वर्ष के बच्चों का भोजन, हाइट और उनकी डाइट, गर्भवती माताओं को एनिमिया मुक्त करने, कीचन गार्डन और प्लांटेशन ड्राइव पर फोक्स किया जाएगा। यह बात डीसी मुकुल कुमार ने अधिकारियों से बातचीत करते हुए कही।

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डीसी मुकुल कुमार ने कहा कि कुपोषण आज हमारे सामने बहुत बड़ी समस्या है। आज भी ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे है, जो सही मात्रा में पोषण न मिलने के कारण कुपोषित रह जाते है। ऐसे बच्चों में कुपोषण की समस्या को खत्म करना हमारे लिए अति आवश्यक है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार की ओर से देशभर में यह अभियान शुरू किया गया है। अभियान के तहत जिलाभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें आयुष विभाग की ओर से विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों में सेमिनार आयोजित किए जाएंगे और योग के माध्यम से कैसे कुपोषण को दूर किया जा सकता है, इस विषय पर जानकार दी जाएगी। 22 मार्च को पीएम देशभर की महिलाओं को संबोधित करेंगे और पोषण एटलस, पोषण ट्रैकर और मिशन कल्पतरु का शुभारंभ करेंगे। 22 मार्च को सभी आंगनबाड़ी वर्कर घर-घर जाकर भी जागरूकता अभियान चलाएंगी।

पोषण वाटिका निर्माण को बढ़ावा देना मुख्य उद्देश्य

महिला एवं बाल विकास विभाग की डीपीओ नीतू रानी ने बताया कि पोषण पखवाड़ा 2021 का मुख्य उद्देश्य पोषण वाटिका निर्माण को बढ़ावा देना, स्थानीय पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित सदस्यों की भागीदारी के साथ पोषण संबंधी विषयों पर जागरूकता लाना, अंतर विभागीय समंवय से पोषण के पांच सूत्रों का व्यापक प्रचार-प्रसार कर लोगों तक पहुंचाना और स्वास्थ्य के लिए योग के महत्व को लोगों तक पहुंचाना है। इसके साथ-साथ इस अभियान का लक्ष्य मातृत्व मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर को भी कम करना है।


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