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मकर संक्रांति पर्व प्रकृति परिवर्तन का है प्रतीक : मिश्रा

मातृभूमि सेवा मिशन के 19वें स्थापना दिवस पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम का शुक्रवार को तीसरा दिन रहा। कार्यक्रम में हरियाणा पुलिस हाउसिग कारपोरेशन के प्रबंधक एवं पुलिस महानिदेशक डा. आरसी मिश्रा मुख्यातिथि रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 07:52 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 07:52 PM (IST)
मकर संक्रांति पर्व प्रकृति परिवर्तन का है प्रतीक : मिश्रा
मकर संक्रांति पर्व प्रकृति परिवर्तन का है प्रतीक : मिश्रा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : मातृभूमि सेवा मिशन के 19वें स्थापना दिवस पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम का शुक्रवार को तीसरा दिन रहा। कार्यक्रम में हरियाणा पुलिस हाउसिग कारपोरेशन के प्रबंधक एवं पुलिस महानिदेशक डा. आरसी मिश्रा मुख्यातिथि रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता व स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर किया।

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डा. आरसी मिश्रा ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है। इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्व है। मकर संक्रांति पर्व प्रकृति परिवर्तन का, सामाजिक समरसता का, एकता व विश्व बंधुत्व का प्रतीक है। मकर संक्रांति के साथ अनेक पौराणिक तथ्य जुड़े हुए हैं। जिसमें से कुछ के अनुसार भगवान आशुतोष ने इस दिन भगवान विष्णु को आत्मज्ञान का दान दिया था। इसके अतिरिक्त देवताओं के दिनों की गणना इस दिन से ही प्रारंभ होती है। सूर्य जब दक्षिणायन में रहते है तो उस अवधि को देवताओं की रात्रि व उतरायण के छह माह को दिन कहा जाता है। महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का दिन ही चुना था। मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. प्रकाश मिश्र ने कहा कि भारत विविध संस्कृति एवं विविध परंपराओं का देश है। अलग-अलग राज्यों अलग-अलग क्षेत्रों की संस्कृति एवं परंपरा में भिन्नता होते हुए भी एक ही आधार पर टिका हुआ है। देश के सभी त्योहारों, पर्वों, उत्सवों का एक पौराणिक आधार है। इस मौके पर कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय के आचार्य नरेश कौशिक, गुरप्रीत सिंह व पवन श्योकंद मौजूद रहे।


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