अस्पताल में इंफेक्शन की दवा तक नहीं, बढ़ रहा मर्ज
एलएनजेपी अस्पताल दर्द दूर करने की बजाय मर्ज बढ़ा रहा है। यहां 10 से ज्यादा विभागों में इलाज करवाने आ रहे 1600 मरीजों को देने के लिए अस्पताल के पास एंटीबायोटिक और दर्द की दवाएं तक नहीं हैं जबकि मौसम को देखते हुए छाती में संक्रमण से लेकर नाक आंख कान गले यहां तक की पेट और यूरीन के संक्रमण को ठीक करने के लिए हर मरीज को एंटीबायोटिक दवा चाहिए।
-1600 की ओपीडी एलएनजेपी अस्पताल में है
-08 हजार एंटीबायोटिक गोलियों की खपत है ओपीडी में रोजाना हैं
-10 से ज्यादा विभाग हैं अस्पताल में, जहां मरीज आते हैं इलाज करवाने
-250 से ज्यादा मरीज अस्पताल में दाखिल विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र :
एलएनजेपी अस्पताल दर्द दूर करने की बजाय मर्ज बढ़ा रहा है। यहां 10 से ज्यादा विभागों में इलाज करवाने आ रहे 1600 मरीजों को देने के लिए अस्पताल के पास एंटीबायोटिक और दर्द की दवाएं तक नहीं हैं, जबकि मौसम को देखते हुए छाती में संक्रमण से लेकर नाक, आंख, कान, गले यहां तक की पेट और यूरीन के संक्रमण को ठीक करने के लिए हर मरीज को एंटीबायोटिक दवा चाहिए।
सीजन में में एंटीबायोटिक दवा खत्म होना मरीजों की परेशानी को ज्यादा बढ़ा रहा है। यहां तक की सबसे जरूरी डिक्लो और डिक्लोपैरा जैसी दर्द की दवाएं तक अस्पताल में कई दिनों से खत्म हैं। अस्पताल की ओपीडी में दूर दराज क्षेत्रों और गांवों से आने वाले मरीजों को पांच में से एक या दो दवा ही मिल रही हैं। यहां तक कि थैलीसिमिया के बच्चों को खून बनाने के लिए दी जाने वाली कैल्फर दवा भी पिछले एक माह से खत्म है। ये दवाएं हैं खत्म, मरीजों को हो रही है परेशानी
सिफिक्सिम प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवा है। सिफिक्सिम दवा का इस्तेमाल बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए किया जाता है और यह शरीर के कान, गले का इंफेक्शन, निमोनिया और यूरिनेरी ट्रैक्ट इंफेक्शन को ठीक करने के लिए प्रयोग की जाती है। लिनेजोलिड दवा भी अस्पताल में खत्म है, जो खासकर निमोनिया में काम आती है। इसके अलावा स्किन, डायबिटिक फुट अल्सर और बैक्टीरियल इंफेक्शन में भी मरीज को दी जाती है। यह दवा भी अस्पताल के पास नहीं है। ओफ्लोक्सासिन भी यूरिन, कान, आंख के संक्रमण को ठीक करने के काम आती है। इसके अलावा आंखों की सूजन, दस्त और बाहरी कान संक्रमण में भी चिकित्सक इसे मरीज को ठीक करने के लिए देते हैं। यह भी कई दिन से खत्म है। एमोक्सिसिलिन भी एक तरह की एंटीबायोटिक है, जो श्वसन, त्वचा, साइनस, यूरीन संक्रमण को ठीक करने के लिए मरीज को दी जाती है। एमोक्सिक्लेव भी निमोनिया, टांसिल, गले में इंफेक्शन में मरीज को दी जाती है। इसके अलावा डिक्लो और डिक्लोपैरा जो दर्द में आराम के लिए मरीज को दी जाती है यह दवा भी एलएनजेपी अस्पताल के पास नहीं है। तीन में से एक ही दवा मिली : माया
मरीज माया देवी ने बताया कि वह दांतों में दर्द की दवा लेने के लिए एलएनजेपी अस्पताल में आई थीं। यहां पर चिकित्सक ने इलाज किया और दवा भी लिखी, लेकिन जब दवा लेने के लिए खिड़की पर गई तो वहां पर तीन में से एक ही दवा मिली है। बाकी की दवा नहीं होने की बात बोल रहे हैं। लोकल स्तर पर खरीद की प्रक्रिया शुरू : डा. साराह
एलएनजेपी अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डा. साराह अग्रवाल ने बताया कि वेयर हाउस से दवाएं नहीं मिल रही हैं। इसके चलते अस्पताल प्रशासन ने दवाओं की लोकल स्तर पर खरीद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही अस्पताल स्तर पर ही खरीद कर ली जाएगी।